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राहु यदि है तीसरे भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

हमें फॉलो करें राहु यदि है तीसरे भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 20 जून 2020 (11:13 IST)
कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के तीसरे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
 
कैसा होगा जातक : यह राहु का पक्का घर है। पूर्वाभास की शक्ति का मालिक। बंदूक लिए पहरेदार। सतर्क रहने वाला। वह सपनों के माध्यम से भविष्य देख सकेगा। 22 वर्ष की उम्र में प्रगति करेगा। तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है इसलिए यहां राहु शुभ हो तो, बहुत धन दौलत वाला और दीर्घायु तो होगी ही साथ ही वह एक निडर और वफादार मित्र भी होगा। वह संतान वाला और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होगा। लेकिन यदि राहु तीसरे घर में अशुभ है तो उसके भाई और रिश्तेदार उसके पैसे बर्बाद करेंगे। वह किसी को पैसे उधार देगा तो वापस नहीं मिलेंगे और वह कर्जदार हो जाएगा। ऐसे जातक में वाणी दोष होगा और वह नास्तिक भी रहेगा। 
 
यदि राहु क के साथ बुध या सूर्य है तो ग्रहण दोष होगा। ग्रहण है तो दौलत की बर्बादी और बहन परेशान रहेगी। कहते हैं कि बहन विधवा हो जाती है। इसलिए अशुभ राहु का उपाय करना जरूरी है।
 
5 सावधानियां :
1. किसी को उधार न दें। अतिरिक्त हौसले का प्रदर्शन न करें।
2. मांस, मदिरा और व्याभिचार से दूर रहें।
3. घर में कभी भी हाथीदांत या हाथीदांत की वस्तुएं और चमड़े की वस्तुएं न रखें।
4. वाणी पर नियंत्रण रखें। बेकार के तंत्र या रहस्यमय बातों से दूर रहें।
5. यदि सूर्य या बुध भी साथ है तो बहिन के हित हेतु उससे दूर रहें। ग्रहण का उपाय करें। 
 
क्या करें : 
1. छह नारियल अपने ऊपर से वारकर बहती नदी में बहाएं।
2. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. माथे पर केसर, चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं
4. भैरव महाराज को कच्चा दूध चढ़ाएं।
5. भोजन कक्ष में बैठकर ही भोजन करें।

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