लाल किताब अनुसार इस कारण से लगता है पितृदोष

अनिरुद्ध जोशी
वैदिक ज्योतिष और लाल किताब में थोड़ा फर्क है। ज्योतिष में कुंडली में पितृदोष मानकर ही पितृदोष माना जाता है। लेकिन लाल किताब में ऐसा नहीं है। आओ संक्षिप्त में जानते हैं कि लाल किताब इस संबंध में क्या कहती है।


 
कुंडली में नहीं है फिर कैसे लगा दोष- 
- पितृ ऋष और दोष कई प्रकार का होता है जैसे हमारे कर्मों का, आत्मा का, पिता का, भाई का, बहन का, मां का, पत्नी का, बेटी और बेटे का। आत्मा का ऋण को स्वयं का ऋण भी कहते हैं। लेकिन यदि आपकी कुंडली में पितृदोष नहीं है फिर भी आप उसी तरह से संकटों से घिरे हैं, परेशान हैं तो यहां बताना जरूरी है कि लाल किताब अनुसार व्यक्ति अपने कर्मों से पितृ दोष निर्मित कर लेते हैं।
 
 
- व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष निर्मित कर लेता है। जैसे कोई व्यक्ति पिता से वैरभाव रखता है, देवताओं का अपमान करता है और मंदिर का विरोध करता है तब भी पितृदोष प्रारंभ हो जाता है। पीपल का वृक्ष काटना या पूजा स्थान पर तोड़फोड़ करने से भी पितृदोष लगता है।
 
 
- जब कोई जातक अपने पूर्व जन्म में धर्म विरोधी कार्य करता है तो वह इस जन्म में भी अपनी इस आदत को दोहराता है। ऐसे में उस पर यह दोष स्वत: ही निर्मित हो जाता है। हमारे पितृ धर्म को छड़ने या पूर्वजों का अपमान करने आदि से पितृ ऋण या दोष बनता है, इस ऋण का दोष आपके बच्चों पर लगता है जो आपको कष्ट देकर इसके प्रति सतर्क करते हैं।
 
 
- करे कोई और भुगते कोई वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी। लाल किताब के अनुसार यदि आपके पूर्वजों ने कोई अपराध किया है जैसे पीपल या बरगद का वृक्ष काटा, घर के पास का पूजा स्थान तोड़ा, मूर्ति तोड़ी या चुराई हो तो उसका भुगतान आपको करना होगा। कुल धर्म या कुल देवों को छो़ड़ दिया हो तो भी उसका भुगतान आपको ही करना होगा। आपने यह तो सुना ही होगी कि जेनेटिक प्रॉब्लब अर्थात अनुवांशिक रोग। यह उसी तरह का है। क्योंकि आपका शरीर आपके पूर्वजों की देने हैं, जो जेनेटिक प्रॉब्लब तो रहेगी ही।
 
 
- पितृ ऋण तब लगता है जबकि पितरों या बड़ों ने कुल पुरोहित का अपमान किया हो या उसके साथ कुछ गलत किया हो। पीपल और बरगद का वृक्ष काटने पर भी यह ऋण होता है। इसके अलवा हो सकता है कि किसी मंदिर में तोड़फोड़ की गई होगी। देवता का अपमान किया गया होगा। इसे पूर्वजों का ऋण भी कहते हैं। पूर्वजों का ऋण मतलब अपने पूर्वजों और पितरों के द्वारा किए गए पापों का फल आपको भुगतना होगा।
 
 
कुंडली अनुसार - 
- लाल किताब के अनुसार जब कुण्डली में बृहस्पति 2, 5, 9, 12 भावों से बाहर हो जोकि बृहस्पति के पक्के घर है तथा बृहस्पति स्वयं 3, 6, 7, 8, 10 भाव में और बृहस्पति के पक्के घरों (2,5,9,12) में बुध या शुक्र या शनि या राहु या केतु बैठा हो तो व्यक्ति पितृ ऋण से पीडित होता है। जबकि वैदिक ज्योतिष में सूर्य का राहु, केतु या शनि के साथ होने या दृष्टि होने पर पितृदोष माना जाता है।
 
 
- लाल किताब के अनुसार कुंडली का नौवां घर यह बताता है कि व्यक्ति पिछले जन्म के कौन से पुण्य साथ लेकर आया है। यदि कुंडली के नौवें में राहु, बुध या शुक्र है तो यह कुंडली पितृदोष की है। लाल किताब में कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को शापित माना जाता है। सातवें घर में गुरु होने पर आंशिक पितृदोष हैं। यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Akshaya Tritiya tips for wealth: अक्षय तृतीया के 10 सरल उपाय, सालभर बरसाएंगे घर में धन

जैन धर्म में अक्षय तृतीया का क्या है महत्व, जानें इसके बारे में

क्या भारत POK पर करेगा हमला? क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र और वायरल भविष्यवाणी

अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

अक्षय तृतीया पर बनेंगे 3 अद्भुत संयोग, धन और सुख की प्राप्ति के लिए जरूर करें ये उपाय

सभी देखें

नवीनतम

01 मई 2025 : आपका जन्मदिन

01 मई 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

अप्रैल में जन्मे बच्चों में होती है ये खासियत, जानिए कैसे होते हैं दूसरों से अलग

Aaj Ka Rashifal: 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, जानें महीने के अंतिम दिन किन राशियों के चमकेंगे सितारे

30 अप्रैल 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More