लाल किताब अनुसार यदि शनि खराब है तो जीवन में कई तरह की परेशानियां तो आती ही है साथ ही शनि संबंधी कुछ रोग भी हो सकते हैं। आओ जानते हैं संक्षिप्त में कि शनि के खराब होने से कौन से रोग हो सकते हैं।
1. शनि का संबंध मुख्य रूप से दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी से होता है। शनि के खराब होने का सबसे पहले इन्हीं पर असर होता है।समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भवों के बाल झड़ जाते हैं और कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है।
2. समय पूर्व ही सिर के बाल झड़ जाते हैं और सिर की नसों में तनाव बना रहता है।
3. फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं और तब सांस लेने में तकलीफ होती है।
4. पेट संबंधी रोग हो जाते हैं या पेट का फूला फूला रहता है। मतलब की थोड़ा सा अन्न लेते ही पेट फूल जाता है। इसे अफरा कहते हैं।
5. हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों के कमजोर होने से जोड़ों का दर्द भी पैदा हो जाता है।
6. रक्त की कमी हो जाती है और रक्त में बदबू बढ़ जाती है।
7. अनावश्यक चिंता और घबराहट बढ़ जाती है।
कैसे खराब होता है शनि-
* घर की वायव्य दिशा के खराब होने से शनि भी खराब हो जाता है।
* जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना।
* परस्त्रीगमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना।
* झूठी गवाही देना।
* निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना।
* चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना।
* ईश्वर के खिलाफ होना, धर्म का मजाक बनाना या उड़ाना, धर्म का अपमान करना।
* दांतों को गंदा रखना, नाखूनों में मेल रखना और आंखों को गंदा रखना।
* तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना।
* सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।
* अंधे, अपंग, विधवा और अबला स्त्री को सताना या उनको धोखा देना।
शनि के अशुभ होने की निशानी-
*मकान का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है।
*कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है।
*शरीर के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
*अचानक आग लग सकती है।
*धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है।
*समयपूर्व दांत और आंख कमजोर हो जाती है।
*व्यक्ति बुरे कार्यों में लग जाता है।
*दिमाग में द्वंद्व रहता है। व्यक्ति अति चालाक हो जाता है।
*शराब पीने, ब्याज का धंधा करने, झूठ बोलने, जुआ खेलना, धोखा देने, गरीब, अपंग या पशु को सताने और पराई स्त्री पर नजर रखने से शनि खराब हो जाता है।
शनि को अच्छा करने के उपाय-
* घर का वायव्य कोण का सुधार करें।
* सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें।
* शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
* तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।
* कुत्ते और कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। चींटियों को प्रतिदिन खाना खिलाएं।
* छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
* दांत और आंत सदा साफ रखें।
* अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। उनकी सहायता करते रहें।
* धर्म, साधु-संत और मंदिर की दान-सेवा करें।
* शनि के मंदे कार्य न करें।
* प्रत्येक शनिवार के दिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके 3 परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
* शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
* मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
नोट- लाल किताब के किसी विशेषज्ञ से अपनी कुंडली की जांच कराएं और उपाय करें। उपरोक्त जानकारी सिर्फ जानकारी हेतु है। यदि आपको उपरोक्त तरह की समस्याएं हैं तो किसी डॉक्टर से पहले कंसल्ट करें। सावधानियां बरतें और संतुलित आहार लें। उपरोक्त में से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं। कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।