धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां तीसरे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : कुल गुरु या खानदान का रखवाला कहा गया है। ऐसे व्यक्ति के शेष ग्रह यदि मंदे हो तो व्यक्ति सदा खानदान की चिंता में रहता है। रहस्यमय विद्याओं में रुचि लेता है। दौलत आती-जाती रहती है पर दौलत मंद होने में गुरु के मित्र ग्रहों का अच्छा होना आवश्यक है।
तीसरे भाव का बृहस्पति व्यक्ति को समझदार और अमीर बनाता है, जातक अपने पूरे जीवन काल में सरकार से निरंतर आय प्राप्त करता रहेगा। तीसरे भाव के बृहस्पति के समय नवम भाव में स्थित शनि हो तो जातक दीर्घायु हो। यदि शनि दूसरे भाव में हो तो जातक बहुत चतुर और चालाक होगा। चतुर्थ भाव में स्थित शनि हो तो जातक का पैसा और धन उसके अपने दोस्तों के द्वारा लूट लिया जाएगा। यदि बृहस्पति तीसरे भाव में किसी पापी ग्रह से पीड़ित है तो व्यक्ति अपने किसी करीबी के कारण बरबाद हो जाएगा और कर्जदार हो जाएगा।
5 सावधानियां :
1. कर्ज न दें और न लें।
2. भाई और बहनों से अच्छे संबंध बना कर रखें।
3. बहन, बेटी, पत्नि, मां, कन्या का कभी भी अपमान न करें।
4. चापलूसों से दूर रहें।
5. कभी भी झूठ न बोलें और चरित्र को उत्तम बनाएं रखें।
क्या करें :
1. देवी दुर्गा की पूजा करें।
2. पीपल में जल चढ़ाएं।
3. मंगल का उपाय करें।
4. घर में धूप-दीप देते रहें।
5. कन्याओं अर्थात छोटी लड़कियों को मिठाई और फल देते हुए उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें।