बरखा रानी के आते ही,
छाई कुल हरियाली।
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे,
धरणी लागे अति प्यारी।
भ्रमर नृत्य कलियों पर करता,
सुना-सुना के तान।
पुष्प निहारे भ्रमर राज को,
बन उनकी पहिचान।
मोर मगन हो बन में नाचे,
चहक रही सब क्यारी।
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे,
धरणी लागे अति प्यारी।
बदरा कड़के अम्बर बरसे,
चम-चम-चम जुगनू चमके।
यौवन उधम मचाए अब तो,
खन-खन-खन कंगन खनके।
जब किसान खेतों को देखे,
मन में होवे खुशहाली।
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे,