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बच्चों की कविता : स्कूल का बस्ता

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

आजकल भारी हुआ, स्कूल का बस्ता,
लग रहा है बददुआ, स्कूल का बस्ता।
 
बचपने को कर गया, बूढ़ा मेरा बच्चा, 
कह रही दादी-बुआ, स्कूल का बस्ता।
 
दोस्त कहते हो जिसे, यह बात झूठी है, 
हाय अब दुश्मन हुआ, स्कूल का बस्ता।
 
पीठ पर कुछ इस तरह, लादा गया है ये, 
बैल के सिर पर जुआ, स्कूल का बस्ता।
 
फेंक आया है कबाड़े में मेरा बेटा,
भाड़ में जाए मुआ, स्कूल का बस्ता।
 

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