बाल कविता : मम्मी मैं भी बड़ी हो गई

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Girl Child poem : मम्मी मैं भी बड़ी हो गई।
घिसट रही थी घुटनों के बल,
लेकिन अब मैं खड़ी हो गई।
मम्मी मैं भी बड़ी हो गई।
 
सरक-सरक कर इस कोने से,
उस कोने पहुंची कई बार।
पता नहीं कमरे का चक्कर, 
लगा आई मैं कितने बार।
छूट गया घुटनों का बंधन,
खुली हुई हथकड़ी हो गई।
 
पकड़-पकड़ दीवार परिक्रमा, 
कमरे की कर डाली है।
खूब कैमरे चमके मेरी,
फोटो गई निकाली है।
खुशियों की इस दीवाली में,
जैसे मैं फुलझड़ी हो गई।
 
मुझे देखकर हंसते थे सब,
बजा-बजा कर ताली थे खुश 
चलते-चलते फिसल गई तो,
सभी हो गए बिलकुल चुप।
पता नहीं ऊधम-मस्ती में,
कैसे यह गड़बड़ी हो गई।
 
लेकिन शायद मम्मी बोलीं,
उठना गिरना जीवन का क्रम।
उठने गिरने से ही आती,
बच्चों के निर्बल तन में दम|
अब तो गिरकर लगी संभलने,
मैं खुद की ही छड़ी हो गई।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: टमाटर खाओ : मस्त फनी कविता

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

अल्जाइमर समेत इन 6 बीमारियों के लिए सबसे असरदार है मेडिटेशन

बच्चों के नाम रखते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां, जानिए नामकरण में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

कांस में ऐश्वर्या ने मांग में सजाया सिन्दूर, दुनिया को दिया देश की संस्कृति और ताकत का संदेश

शक्कर छोड़ने के पहले जान लें वो 8 जरूरी बातें जो आपको पहले से पता होनी चाहिए

अगला लेख