मनोरंजक बाल कविता : खुशबू की पिचकारी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
शनिवार, 21 सितम्बर 2024 (16:57 IST)
भोर हुई तो नीड़ छोड़कर,
पंछी दौड़े लाने चून।
धूप खिली तो हौले-हौले,
बगियों में खिल गए प्रसून।
 
तेज हवा में डोली डाली,
थिरक-थिरक कर पत्ते नाचे।
किरणों के हरकारों ने भी,
मौसम के कुछ पर्चे बांटे।
उड़कर पत्ते पहुंचे चेन्नई,
कुछ जा पहुंचे देहरादून।
 
फूलों ने भी धीरे-धीरे,
छोड़ी खुशबू की पिचकारी।
सुध बुध खो बैठी फुलबगिया,
महक उठी है दुनिया दारी।
कुछ की खुशबू पहुंची काबुल,
कुछ की पहुंच गई रंगून।
 
फूल पत्तियों डालों का तो,
काम, मस्तियां मौज लुटाना।
बिना दाम के, बिन मांगे ही,
खुशियों को घर-घर पहुंचाना।
और उड़ाना आसमान में,
नव उमंग के नव बैलून।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

अल्जाइमर समेत इन 6 बीमारियों के लिए सबसे असरदार है मेडिटेशन

बच्चों के नाम रखते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां, जानिए नामकरण में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

कांस में ऐश्वर्या ने मांग में सजाया सिन्दूर, दुनिया को दिया देश की संस्कृति और ताकत का संदेश

शक्कर छोड़ने के पहले जान लें वो 8 जरूरी बातें जो आपको पहले से पता होनी चाहिए

Operation Sindoor पर भाषण: सिन्दूर का बदला खून, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की महागाथा

अगला लेख