बच्चों की मजेदार कविता : बंदर जी की सत्य कथा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
दाढ़ी के डिब्बे से बंदर, 
भाग गया लेकर सामान।
दाढ़ी उसकी बहुत बड़ी है,
अभी-अभी आया है ध्यान।
 
लगा गाल में साबुन उसने, 
रेजर खूब चलाई।
दाढ़ी में से नदी खून की,
तेजी से बह आई।
 
घबराकर बंदर भैया ने,
फेंकी रेजर ब्लैड।
रोते-रोते बैठ गए वे, 
पकड़े अपना पेट।
 
नकल किसी की भी करने से,
होता है नुकसान।
बंदरजी की सत्य कथा यह,
सुनो खोलकर कान।

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