वैसे तो हिन्दू संस्कृति में करवा चौथ के अलावा भी इस तरह के कई व्रत हैं, जो महिलाएं अपने पति के लिए करती हैं। लेकिन करवा चौथ के प्रति लोगों में अलग ही दिलचस्पी होती है। इसका प्रमुख कारण है करवा चौथ की रोचक परंपराएं, जिन्हें ज्यादातर फिल्मों में प्रदर्शित किया जाता है। इन्हीं परंपराओं ने करवा चौथ को बेहद खास बना दिया है।
आइए जानते हैं ऐसी खास परंपराएं, जो करवा चौथ के रोमांच और रोमांस को बढ़ा देती है-
1. सरगी- करवा चौथ के दिन दो चीजें काफी महत्वपूर्ण होती है- 'सरगी' और 'बाया'। यह दो चीजें तोहफे में आवश्यक रूप से दी जाती हैं। इसके बिना करवा चौथ का पर्व अधूरा माना जाता है। इससे भी पति-पत्नी का रिश्ता और भी गहरा होता है। 'सरगी' के साथ तरह-तरह की मिठाइयां और कुछ कपड़े दिए जाते हैं, जिसे करवा चौथ करने वाली महिलाएं सूर्योदय के पहले ही खा सकती हैं। उपवास शुरू होने के बाद इसे नहीं खाया जाता है।
2. सास-बहू की रस्म- यह पर्व न केवल पति-पत्नी के संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि सास-बहू के रिश्ते में भी मधुरता लाता है, क्योंकि परंपरा के अनुसार जब किसी सुहागन का पहला करवा चौथ होता है तब उसके मायके पक्ष द्वारा सास के लिए सरगी, सुहाग का सामान और उपहार स्वरूप साड़ी भेजी जाती है। इसके बाद सास अपनी बहू को सरगी देती है। इस प्रकार यह व्रत सास-बहू के रिश्तों में भी प्रगाढ़ता लाता है।
3. अपने चांद को चलनी से निहारना- करवा चौथ की सबसे प्रचलित और दिलचस्प परंपरा, चांद को अर्घ्य देकर चलनी में से अपने पति को देखना है। इस परंपरा में चांद का पूजन कर से अर्घ्य दिया जाता है, उसके बाद उसे चलनी में दीया रखकर चांद के दर्शन किए जाते हैं, फिर उसी चलनी से पति को देखा जाता है। कहने को भले ही यह परंपरा हो, लेकिन नवविवाहित जोड़ों में खासतौर से इस तरह के रीति रिवाज अलग ही रोमांच पैदा करते हैं।
4. गिफ्ट- एक तरफ जहां पति अपने लिए किए गए व्रत पर हर्ष प्रकट करते हैं, वहीं अन्न-जल त्याग कर किए गए व्रत में पत्नी को उपहार देने का भी रिवाज है, जो पत्नी के लिए उत्सुकता और रोमांचक क्षण होता है। इस तरह से करवा चौथ की परंपराएं न केवल आपसी रिश्तों में मधुरता लाती है, साथ ही एक अलग ही रोमांच भी पैदा करती हैं।
5. बाया- 'बाया' लड़के को ससुराल पक्ष की ओर से दिया जाता है। जिसमें बादाम, मठरी और कुछ कपड़े दिए जाते हैं। जबकि 'सरगी' सास अपनी बहू को देती है। पहले जहां 'सरगी' और 'बाया' एक परंपरा के रूप में लिया जाता था, वहीं अब इसमें फैशन का पुट भी शामिल हो गया है। बदलते दौर में आज भी इस पर्व का महत्व बरकरार है।