इस बार हनुमान जयंती 27 अप्रैल को है। भगवान शिव के अवतार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। हनुमान जयंती पर विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनको प्रसन्न कर सकते हैं। हनुमान जी संकट मोचन कहलाते हैं। आइए जानते हैं कि हनुमान जयंती के मुहूर्त, मंत्र, भोग के बारे में विस्तार से-
हनुमान जयंती पर पूजा मुहूर्त
26 अप्रैल 2021: दोपहर 12.44 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ
27 अप्रैल 2021: रात्रि 9.01 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समापन
हनुमान जयंती पूजा शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:06 से 04:50 तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11:40 से 12:33 तक।
अमृत काल- 12:26 से 01:50 तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 से 03:09 तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:26 से 06:49 तक।
त्रिपुष्कर योग- 05:14 से 05:33 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:44 से 12:28 तक।
हनुमान कवच मंत्र- 'ॐ श्री हनुमते नम:'
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान जी का भोग
पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। पूजा के समय उनको आप इन मिष्ठानों आदि का भोग लगाएं, वे अतिप्रसन्न होंगे। काफी लोग उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं।
हनुमान जयंती पर करें ये 7 सरल उपाय
- हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसमें सभी मुलायम चीजें डलवाएं, जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि।
- 5 देसी घी के रोटी का भोग हनुमान जयंती पर लगाने से दुश्मनों से मुक्ति मिलती है।
- कोरोबार में वृद्धि के लिए हनुमान जयंती को सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइए।
- हनुमान जी के मंदिर जाएं, उन्हें केसरी रंग का चोला चढ़ाएं और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। सिर से 8 बार नारियल वारकर हनुमान जी के चरणों में रखें।
- हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के मंदिर जा कर उनका कोई भी सरल मंत्र पढ़ें और हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें। फिर हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें लौंग डालें। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
- हनुमान जी को खुश करना है तो इस दिन उनकी मूर्ति के ऊपर गुलाब की माला चढ़ाएं। इसके बाद एक नारियल पर स्वस्तिक बनाएं। इस नारियल को हनुमान जी को अर्पित करें। इससे बुरा समय चल रहा होगा तो वह कट जाएगा।
- यदि आप पैसों की तंगी से परेशान हैं तो किसी पीपल के पेड़ के 11 पत्ते तोड़ लें और उस पर श्रीराम का नाम लिख हनुमान जी को चढ़ा दें।
पूर्णिमा की रात चांद को अर्घ्य भी दिया जाता है।