Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हनुमानजी इन दो पर सवार होकर उड़ते हैं, जानिए रहस्य

हमें फॉलो करें हनुमानजी इन दो पर सवार होकर उड़ते हैं, जानिए रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

हर देवी या देवता किसी न किसी की सवारी करने के बाद ही गमन करते हैं, जैसे लक्ष्मीजी उल्लू पर, विष्णुजी गरुढ़ पर, माता दुर्गा शेर पर और इसी तरह सभी देवी देवताओं के पास अपनी अपनी सवारी है परंतु क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी के पास कितने प्रकार के अस्त्र शस्त्र हैं और वे कौन से वाहन की सवारी करते हैं? नहीं जानते हैं तो आओ आज हम आपको बताते हैं।
 
 
खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।
मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥ ८॥
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।
प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥ ९॥
 
हनुमानजी का वाहन : 'हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र' के 72वें श्‍लोक में उन्हें 'वायुवाहन:' कहा गया। मतलब यह कि उनका वाहन वायु है। वे वायु पर सवार होकर अति प्रबल वेग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करते हैं। हनुमान जी ने एक बार श्रीराम और लक्ष्‍मण को अपने कंधे पर बैठाकर उड़ान भरा था। उसके बाद एक बार हनुमान जी ने बात-बात में द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लंका ले गए और उसी रात को यथास्थान रख आए थे। 
 
भूतों की सवारी : प्रचलित मान्यता और जनश्रुति के अनुसार यह कहा जाता है हनुमानजी भूतों की सवारी भी करते हैं।
 
हनुमानजी के अस्त्र और शस्त्र : हनुमानजी के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान उनकी गदा का है। कुबेर ने गदाघात से अप्रभावित होने का वर दिया है। हनुमान जी वज्रांग हैं। यम ने उन्हें अपने दंड से अभयदान दिया है। भगवान शंकर ने हनुमानजी को शूल एवं पाशुपत, त्रिशूल आदि अस्त्रों से अभय होने का वरदान दिया था। अस्त्र-शस्त्र के कर्ता विश्‍वकर्मा ने हनुमान जी को समस्त आयुधों से अवध्‍य होने का वरदान दिया है।
 
 
उनके संपूर्ण अंग-प्रत्यंग, रद, मुष्ठि, नख, पूंछ, गदा एवं गिरि, पादप आदि प्रभु के अमंगलों का नाश करने के लिए एक दिव्यास्त्र के समान है। 1.खड्ग, 2.त्रिशूल, 3.खट्वांग, 4.पाश, 5.पर्वत, 6.अंकुश, 7.स्तम्भ, 8.मुष्टि, 9.गदा और 10.वृक्ष हैं।
 
हनुमानजी का बायां हाथ गदा से युक्त कहा गया है। 'वामहस्तगदायुक्तम्'. श्री लक्ष्‍मण और रावण के बीच युद्ध में हनुमान जी ने रावण के साथ युद्ध में गदा का प्रयोग किया था। उन्होंने गदा के प्रहार से ही रावण के रथ को खंडित किया था। स्कंदपुराण में हनुमानजी को वज्रायुध धारण करने वाला कहकर उनको नमस्कार किया गया है। उनके हाथ में वज्र सदा विराजमान रहता है। अशोक वाटिका में हनुमानजी ने राक्षसों के संहार के लिए वृक्ष की डाली का उपयोग किया था। हनुमानजी का एक अस्त्र उनकी पूंछ भी है। अपनी मुष्टिप्रहार से उन्होंने कई दुष्‍टों का संहार किया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Hanuman Chalisa :हनुमान चालीसा का आज के दौर में महत्व, 9 दिव्य मंत्र