Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण के 15 रूप, हर रूप कहता है कुछ

krishna ka swaroop: बांके बिहारी, सांवरिया सेठ, द्वारिकाधीश को छोड़कर जानें अन्य 15 स्वरूप

हमें फॉलो करें krishna janmashtami

WD Feature Desk

, शनिवार, 24 अगस्त 2024 (12:25 IST)
krishna janmashtami
krishna ka swaroop kaisa hai: 64 कलाओं में दक्ष श्रीकृष्ण ने हर क्षेत्र में अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ी है इसलिए उन्हें पूर्णावतार माना जाता है। यूं तो भगवान श्रीकृष्ण के सैकड़ों रूप और रंग हैं। उन्हें बांके बिहारी, सांवरिया सेठ, माधव, वासुदेव, द्वारिकाधीश, केशव और श्याम कहा जाता है लेकिन आओ हम जानते हैं कि उनके खास 15 स्वरूपों के बारे में।
  • बालकृष्‍ण
  • मोर मुकुटधारी कृष्‍ण
  • बंसीधर कृष्ण
  • योगेश्वर कृष्‍ण
  • पीतांबर कृष्ण
  • चक्रधारी कृ्ष्ण
  • रासलीला धारी कृष्‍ण
  • गो पालक कृष्‍ण
  • विराट रूप कृष्ण
  • योद्धा कृष्ण
  • जगत गुरु कृष्‍ण
  • सांवले कृष्ण
  • बांके बिहारी
  • सांवरिया सेठ 
1. बाल कृष्ण : श्रीमद्भागवत पुराण में उनकी बाल लीलाओं का वर्णन मिलता है। श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल और वृंदावन में बीता। श्रीकृष्ण ने ताड़का, पूतना, शकटासुर आदि का बचपन में ही वध कर डाला था। बाल कृष्ण को बालमुकुंद, नटखट और माखन चोर भी कहा जाता है।ALSO READ: krishna janmashtami 2024 Shubh muhurat: श्री कृष्‍ण जन्माष्टमी पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
 
2. गोपाल कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण एक ग्वाले थे और वे गाय चराने जाते थे इसीलिए उन्हें गोपाल कृष्‍ण कहते हैं। ग्वाले को गोप और गवालन को गोपी कहा जाता है। हालांकि यह शब्द अनेकार्थी है। पुराणों में गोपी-कृष्ण लीला का वर्णन मिलता है। इसमें गोप और गोपिकाएं डांडिया रास करते हैं।
 
3. प्रेमी कृष्‍ण : वृंदावन में रहकर श्रीकृष्‍ण ने दुनिया को सच्चे प्रेम का पाठ पढ़ाया। श्री राधा और कृष्‍ण के प्रेम की कहानियों का वर्णन भक्तिकाल के कवियों ने अच्छे से किया है। इस रूप में कृष्‍ण के सिर पर मोरपंख, हाथ में बांसुरी, गले में वैजयंती माला और कमर पर कमरबंध है। इस रूप में वे गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। कृष्ण को चाहने वाली अनेक गोपियां और प्रेमिकाएं थीं। उनकी प्रेमिका राधा और राधा जी की अष्‍टसखियां थीं।
 
4. रक्षक कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने किशोरावस्था में ही चाणूर और मुष्टिक जैसे खतरनाक मल्लों का वध किया था, साथ ही उन्होंने इंद्र के प्रकोप के चलते जब वृंदावन आदि ब्रज क्षेत्र में जलप्रलय हो चली थी, तब गोवर्धन पर्वत अपनी अंगुली पर उठाकर सभी ग्रामवासियों की रक्षा की थी। इसी तरह उन्होंने अर्जुन, द्रौपदी सहित कई लोगों की रक्षा की। 
 
5. सखा कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण के हजारों सखा थे। सखा मतलब मित्र या दोस्त। श्रीकृष्ण के सखा सुदामा, श्रीदामा, मधुमंगल, सुबाहु, सुबल, भद्र, सुभद्र, मणिभद्र, भोज, तोककृष्ण, वरूथप, मधुकंड, विशाल, रसाल, मकरन्‍द, सदानन्द, चन्द्रहास, बकुल, शारद, बुद्धिप्रकाश, अर्जुन आदि थे। श्रीकृष्ण की सखियां भी हजारों थीं। राधा, ललिता आदि सहित कृष्ण की 8 सखियां थीं।ALSO READ: जन्माष्टमी पर कान्हा को अर्पित करें उनका मनपसंद भोग, जानें कैसे बनाएं
 
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सखियों के नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी। कुछ जगह पर ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है। इसके अलावा भौमासुर से मुक्त कराई गईं सभी महिलाएं कृष्ण की सखियां थीं। द्रौपदी भी श्रीकृष्ण की सखी थीं।
webdunia
6. शिष्य कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण के गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। कहते हैं कि उन्होंने जैन धर्म में 22वें तीर्थंकर नेमीनाथजी से भी ज्ञान ग्रहण किया था। श्रीकृष्ण गुरु दीक्षा में सांदीपनी के मृत पुत्र को यमराज से मुक्ति कराकर ले आए थे। श्रीकृष्‍ण ने हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीथा। आचार्य गर्ग, वेद व्यास भी उनके गुरु थे।
 
7.जगत गुरु कृष्‍ण : श्रीकृष्‍ण ने अपने जीवन में अर्जुन, उद्धव, युधिष्‍ठिर सहित सैंकड़ों लोगों को शिक्षा दी थी। इसी के साथ जब वे वृंदावन में थे तो सभी सखियां उनकी शिष्या भी थीं।
 
8. कर्मयोगी कृष्ण : गीता में कर्मयोग का बहुत महत्व है। कृष्ण ने जो भी कार्य किया, उसे अपना कर्म समझा, अपने कार्य की सिद्धि के लिए उन्होंने साम-दाम-दंड-भेद सभी का उपयोग किया, क्योंकि वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण जीते थे और पूरी जिम्मेदारी के साथ उसका पालन करते थे। न अतीत में और न भविष्य में, जहां हैं वहीं पूरी सघनता से जीना ही उनका उद्देश्य रहा।
 
9. धर्मयोगी कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने ऋषि वेदव्यास के साथ मिलकर धर्म के लिए बहुत कार्य किया। गीता में उन्होंने कहा भी है कि जब-जब धर्म की हानि होगी, तब-तब मैं अवतार लूंगा। श्रीकृष्ण ने नए सिरे से उनके कार्य में सनातन और भागवत धर्म की स्थापना की थी।
 
9. वीर कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में युद्ध नहीं लड़ा था। वे अर्जुन के सारथी थे। लेकिन उन्होंने कम से कम 10 युद्धों में भाग लिया था। उन्होंने चाणूर, मुष्टिक, कंस, जरासंध, कालयवन, अर्जुन, शंकर, नरकासुर, पौंड्रक और जाम्बवंत से भयंकर युद्ध किया था। हालांकि फिर भी उन्हें रणछोड़ कृष्‍ण कहा जाता है।
 
10. रणछोड़ कृष्‍ण : महाभारत के युद्ध में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस युद्ध में वे अर्जुन के सारथी थे। हालांकि उन्हें 'रणछोड़ कृष्ण' भी कहा जाता है। इसलिए कि वे जरासंध और कालयवन के कारण अपने सभी बंधु-बांधवों की रक्षा के लिए मथुरा छोड़कर द्वारिका चले गए थे। वे नहीं चाहते थे कि जरासंध से मेरी शत्रुता के कारण मेरे कुल के लोग भी व्यर्थ का युद्ध करें और मारे जाएं।ALSO READ: krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा आशीर्वाद
 
11. योगेश्वर कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण एक महायोगी थे। उनका शरीर बहुत ही लचीला था लेकिन वे अपनी इच्छानुसार उसे वज्र के समान बना लेते थे, साथ ही उनमें कई तरह की यौगिक शक्तियां थीं। योग के बल पर ही उन्होंने मृत्युपर्यंत तक खुद को जवान बनाए रखा था। उन्होंने गीता में योग का ही उपदेश दिया है। इसलिए उन्हें योगेश्‍वर कृष्‍ण कहते हैं।
 
13. अवतारी कृष्ण : भगवान श्रीकृष्‍ण विष्णु के अवतार थे। उन्हें पूर्णावतार माना जाता है। महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को उन्होंने अपना विराट स्वरूप दिखाकर यह सिद्ध कर दिया था कि वे ही परमेश्वर हैं।
 
14. राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण ने अपने संपूर्ण जीवन में कूटनीति के बल पर परिस्थितियों को अपने अनुसार ढालकर भविष्‍य का निर्माण किया था। उन्होंने जहां कर्ण के कवच और कुंडल दान में दिलवा दिए, वहीं उन्होंने दुर्योधन के संपूर्ण शरीर को वज्र के समान होने से रोक दिया। सबसे शक्तिशाली बर्बरीक का शीश मांग लिया तो दूसरी ओर उन्होंने घटोत्कच को सही समय पर युद्ध में उतारा। ऐसी सैकड़ों बातें हैं जिससे पता चलता है कि किस चालाकी से उन्होंने संपूर्ण महाभारत की रचना की और पांडवों को जीत दिलाई।
 
15. रिश्तों में खरे कृष्ण : भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं- रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी। इनसे श्रीकृष्ण को लगभग 80 पुत्र हुए थे। कृष्ण की 3 बहनें थीं- एकानंगा (यह यशोदा की पुत्री थीं), सुभद्रा और द्रौपदी (मानस भगिनी)। कृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम और गद थे। सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। उसी तरह श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र साम्ब का विवाह दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से किया था। श्रीकृष्ण के रिश्तों की बात करें तो वे बहुत ही उलझे हुए थे।ALSO READ: जन्माष्टमी 2024: Janmashtami महोत्सव पर जानें पूजन सामग्री की सूची

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर ऐसे सजाएं कान्हा का झूला, निखर जाएगी लड्डू गोपाल की छवि