Rajouri: राजौरी (Rajouri) जिले के कालाकोट (Kalakot) के बरोह जंगल में सुरक्षाबलों पर हमला कर 3 जवानों को जख्मी करने वाले आतंकी फरार होने में कामयाब हो गए हैं। इसकी आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है, पर अब सुरक्षाबलों (security forces) द्वारा इस ऑपरेशन को समेटने की जा रही तैयारी से यह स्पष्ट होता था। पहले ही कोकरनाग (Kokernag) में 2 आतंकियों की मौत के उपरांत ऑपरेशन समाप्त कर दिया गया है।
प्रदेश में यह पहला अवसर नहीं है कि आतंकी इतने दिनों तक चलने वाले ऑपरेशनों में सैकड़ों जवानों की मौजूदगी और घेराबंदी के बावजूद फरार होने में कामयाब हुए हों। दरअसल जिन इलाकों से मुठभेड़ों के दौरान आतंकी लापता होते रहे हैं, वे घने जगलों और दुर्गम स्थानों पर थे।
वैसे तो कोकरनाग में लश्कर के कमांडर उजैर खान के भाग जाने के बाद भी उसको मारने में 7 दिनों के बाद कामयाबी इसलिए मिली थी, क्योंकि वह टॉप का इनामी आतंकी था जिसका भाग जाना सुरक्षाबल सहन नहीं कर सकते थे जिस काराण उसकी खोज और उसे मारने की खातिर युद्ध के मैदान में इस्तेमाल होने वाले हथियारों व अत्याधुनिक ड्रोनों आदि का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।
पर प्रत्येक मुठभेड़ में यही रणनीति अपनाना सुरक्षाबलों के लिए संभव नहीं होती। इसके पीछे के कई कारण हैं। सुरक्षाधिकारी खुद मानते हैं कि प्रत्येक मुठभेड़ के दौरान सबसे पहला मोर्चा वहां उपस्थित जवानों द्वारा संभाला जाता है और कई बार ऐसा होता है कि हमलावर आतंकी अतिरिक्त जवानों और सैनिक साजोसामान के पहुंचने से पहले ही घने व दुर्गम जंगलों के अतिरिक्त स्थानीय मुखबिरों का सहारा लेकर फरार होने में कामयाब हो जाते हैं।
इसलिए सुरक्षाबल ऐसी किसी भी फरारी को नाकामी के तौर पर नहीं लेते हैं, क्योंकि भागने वाले विदेशी आतंकियों को आजकल पाक सेना गुरिल्ला युद्ध में महारत हासिल कर इस ओर धकेल रही है, जो सेना की चिंता का विषय जरूर बनने लगे हैं।
Edited by: Ravindra Gupta