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गुलमर्ग में स्कीइंग के लिए उमड़ी भीड़, तेज बर्फबारी का इंतजार, IMD ने भविष्यवाणी ने जगाई उम्मीद

हमें फॉलो करें गुलमर्ग में स्कीइंग के लिए उमड़ी भीड़, तेज बर्फबारी का इंतजार, IMD ने भविष्यवाणी ने जगाई उम्मीद
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सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 6 जनवरी 2023 (12:25 IST)
जम्मू। हालांकि कश्मीर में आज रात से 1 सप्ताह के लिए हल्की से जोरदार बर्फबारी की भविष्यवाणी मौसम विभाग कर रहा है, पर स्कीइंग की ढलानों के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग को अभी तक अपने हिस्से की बर्फ नहीं मिली है। नतीजा यह है कि स्कीइंग सीखने वालों की भीड़ तो लगी है, पर 6 से 7 इंच की बर्फ पर वे सिर्फ फिसल ही रहे हैं।
 
अक्सर साल के इस समय में कई ढलानों पर स्की लिफ्टों के संचालन के कारण गुलमर्ग स्कीइंग गतिविधियों से भरा रहता था और ढलानों पर सैकड़ों स्कीयर और पर्यटकों को दृश्यों और परिवेश का आनंद लेते हुए देखा जा सकता था। पर इस साल स्थिति अलग है, क्योंकि गुलमर्ग की किसी भी स्की लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वहां उतनी बर्फबारी नहीं हुई है। 
इस सर्दी में गुलमर्ग में ज्यादा हिमपात नहीं हुआ है। वर्तमान जमाव केवल 6 से 7 इंच है जिससे स्की लिफ्टों को संचालित करना असंभव हो गया है।
 
लिफ्टों के नियमित संचालन के लिए कम से कम 1.5 फीट बर्फ की जरूरत होती है। 
इस सर्दी के मौसम में गुलमर्ग में नवंबर में कुछ इंच और फिर नए साल की पूर्व संध्या पर कुछ इंच बर्फ ही गिरी है। स्की रिसॉर्ट की सामान्य शुरुआत के लिए बर्फ का जमाव पर्याप्त नहीं है जिससे सैकड़ों शीतकालीन खेलप्रेमी निराश हैं। ढलानों पर बर्फ की कमी से लगभग सभी विभागों, संस्थानों, कॉलेजों और स्कूलों का मौसमी स्कीइंग कोर्स प्रभावित हुआ है।
 
 
पिछले 4 दशकों से अधिक समय से स्कीइंग कोर्स करा रहा युवा सेवा एवं खेल विभाग (डीवाईएसएस) अभी तक अपना कोर्स शुरू ही नहीं कर पाया है और बर्फबारी का इंतजार कर रहा है। भारतीय स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान (आईआईएसएम) ने अग्रिम बुकिंग के आधार पर अपने पाठ्यक्रम शुरू कर दिए हैं, लेकिन वे अपनी स्की लिफ्ट का संचालन करने में भी असमर्थ हैं जिससे प्रशिक्षुओं में नाखुशी का माहौल है।
 
अन्य निजी स्की स्कूलों ने स्की लिफ्टों के बिना स्की प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के छोटे बैच शुरू किए हैं जबकि कोंगडोरी, गोंडोला के पहले चरण में लगभग 2 फीट बर्फ गिरी है, वहां भी स्कीइंग की सिफारिश नहीं की जाती है, क्योंकि चट्टानें अभी तक पूरी तरह से बर्फ से ढंकी नहीं हैं।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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