कश्मीर में अतीत का हिस्सा बन चुके पत्थरबाज एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी आतंकी और पत्थरबाज के परिवार के किसी सदस्य को भी अब सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। हालांकि यह आदेश कोई नया नहीं है बल्कि अगस्त 2021 में ही सरकार ने पत्थरबाजों व आतंकियों को सरकारी नौकरियों से वंचित करने के अतिरिक्त उनकी विदेश यात्राओं पर पाबंदी लागू करने के इरादों से उन्हें पासपोर्ट जारी न करने के निर्देश दिए थे।
अब दोनों के परिजनों को भी इन सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। अमित शाह ने कहा है कि कश्मीर में, हमने निर्णय लिया है कि यदि कोई आतंकी संगठन में शामिल होता है, तो उसके परिवार के सदस्यों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। इसी तरह अगर कोई पथराव करेगा तो उसके परिवार के सदस्यों को भी सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन अंत में सरकार की जीत हुई।
गृह मंत्री ने कहा कि अगर किसी परिवार का कोई व्यक्ति आगे आता है और अधिकारियों को सूचित करता है कि उसका करीबी रिश्तेदार आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है तो ऐसे परिवार को राहत दी जाएगी। यह है तो चौंकाने वाला पर है सत्य कि प्रदेश में देश के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने अगस्त 2021 में ही एक आदेश जारी किया था।
इसमें कहा गया था कि देश के खिलाफ नारेबाजी और पत्थरबाजी करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं, ऐसे लोग पासपोर्ट सेवा का भी लाभ नहीं उठा सकेंगे। सीआईडी ने सभी इकाइयों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया था। तब, साथ संलग्न ऑर्डर को देखें, जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआइडी विंग ने अपने सभी क्षेत्रीय स्टाफ को निर्देश दिया था कि वे ऐसे तत्वों को सुरक्षा मंजूरी न दें।
सीआइडी की विशेष शाखा कश्मीर के तत्कालीन एसएसपी ने अपने अधीनस्थ सभी अधिकारियों और कर्मियों को इस इस संबंध में एक लिखित आदेश जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि वे पासपोर्ट सेवा और सरकारी सेवा या सरकारी योजनाओं के संदर्भ में जब किसी व्यक्ति की जांच करते हुए उसकी सुरक्षा मंजूरी की रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो उस समय यह जरूर ध्यान रखें कि संबधित व्यक्ति किसी भी तरह से पत्थरबाजी, राज्य व राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों, कानून व्यवस्था भंग करने में लिप्त न रहा हो। उसके बारे में संबधित पुलिस स्टेशन से भी पूरा पता किया जाए।
आपराधिक जांच विभाग, विशेष शाखा-कश्मीर की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि सभी क्षेत्रीय इकाइयों को निर्देशित किया जाता है कि पासपोर्ट सेवा या अन्य किसी सेवा से संबंधित सत्यापन के दौरान कानून और व्यवस्था, पथराव के मामलों और अन्य अपराधों में संलिप्तता को विशेष रूप से देखा जाए।
स्थानीय पुलिस थाने के रिकॉर्ड से इसकी पुष्टि होनी चाहिए। डिजिटल साक्ष्य जैसे सीसीटीवी फुटेज, फोटो, वीडियो और आडियो पुलिस के रिकार्ड में उपलब्ध क्लिप, क्वाडकाप्टर इमेज को भी खंगाल जाए। ऐसे किसी भी मामले में शामिल होने पर स्वीकृत देने से इनकार किया जाना चाहिए।