यौम-ए-आशूरा : मुहर्रम में ताजिया विसर्जन क्यों करते हैं? पढ़ें 10 बातें...

Webdunia
Muharram 2022
 
मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम माना गया दिन मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना है। इस महीने में यौमे अशूरा (tenth day of Muharram) तथा ताजिया विसर्जन की परंपरा हैं, आइए जानते हैं इसका इतिहास- 
 
1. मुहर्रम (Muharram 2022) की 9वीं और 10वीं तारीख को दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं तथा मस्जिदों और घरों में इबादत की जाती है। 
 
2. मोहर्रम या ताजिया (Tazia) विसर्जन की शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी, जिसका ताल्लुक शीआ संप्रदाय से था। तब से भारत के शीआ-सुन्नी इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृति, जो इराक के कर्बला नामक स्थान पर है की परंपरा को मनाते आ रहे हैं। 
 
3. भारत में ताजिए के इतिहास और बादशाह तैमूर लंग का गहरा रिश्ता है। तैमूर बरला वंश का तुर्की योद्धा था और विश्व विजय उसका सपना था। सन्‌ 1336 को समरकंद के नजदीक केश गांव ट्रांस ऑक्सानिया अब उज्बेकिस्तान में जन्मे तैमूर को चंगेज खां के पुत्र चुगताई ने प्रशिक्षण दिया। सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही वह चुगताई तुर्कों का सरदार बन गया।
 
 
4. तैमूर फारस, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया और रूस के कुछ भागों को जीतते हुए 1398 में भारत पहुंचा। उसके साथ 98000 सैनिक भी भारत आए। दिल्ली में मेहमूद तुगलक से युद्ध कर अपना ठिकाना बनाया और यहीं उसने स्वयं को सम्राट घोषित किया। 
 
5. तैमूर लंग तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ तैमूर लंगड़ा होता है। वह दाएं हाथ और दाए पांव से पंगु था। तैमूर लंग शीआ संप्रदाय से था और मुहर्रम माह में हर साल इराक जरूर जाता था, लेकिन बीमारी के कारण एक साल नहीं जा पाया। वह हृदय रोगी था, इसलिए हकीमों, वैद्यों ने उसे सफर के लिए मना किया था। 
 
6. बादशाह सलामत को खुश करने के लिए दरबारियों ने ऐसा करना चाहा, जिससे तैमूर खुश हो जाए। उस जमाने के कलाकारों को इकट्ठा कर उन्हें इराक के कर्बला में बने इमाम हुसैन के रोजे (कब्र) की प्रतिकृति बनाने का आदेश दिया। कुछ कलाकारों ने बांस की किमचियों की मदद से 'कब्र' या इमाम हुसैन की यादगार का ढांचा तैयार किया। इसे तरह-तरह के फूलों से सजाया गया। इसी को ताजिया नाम दिया गया। इस ताजिए को पहली बार 801 हिजरी में तैमूर लंग के महल परिसर में रखा गया, जबकि खुद तैमूर लंग के देश उज्बेकिस्तान या कजाकिस्तान में या शीआ बहुल देश ईरान में ताजियों की परंपरा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
 
 
7. तैमूर के ताजिए की धूम बहुत जल्द पूरे देश में मच गई। देशभर से राजे-रजवाड़े और श्रद्धालु जनता इन ताजियों की जियारत (दर्शन) के लिए पहुंचने लगे। तैमूर लंग को खुश करने के लिए देश की अन्य रियासतों में भी इस परंपरा की सख्ती के साथ शुरुआत हो गई।
 
8. खासतौर पर दिल्ली के आसपास के जो शीआ संप्रदाय के नवाब थे, उन्होंने तुरंत इस परंपरा पर अमल शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक इस अनूठी परंपरा को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा या म्यांमार में मनाया जा रहा है।
 
 
9. 68 वर्षीय तैमूर अपनी शुरू की गई ताजियों की परंपरा को ज्यादा देख नहीं पाया और गंभीर बीमारी में मुब्तिला होने के कारण 1404 में समरकंद लौट गया। बीमारी के बावजूद उसने चीन अभियान की तैयारियां शुरू कीं, लेकिन 19 फरवरी 1405 को ओटरार चिमकेंट के पास (अब शिमकेंट, कजाकिस्तान) में तैमूर का इंतकाल (निधन) हो गया। लेकिन तैमूर के जाने के बाद भी भारत में यह परंपरा जारी रही।
 
10. इस दिन को पूरे विश्व में बहुत अहमियत, अज्मत और फजीलत वाला दिन माना जाता है। तैमूरी रिवायत को मानने वाले मुसलमान रोजा-नमाज के साथ इस दिन ताजियों-अखाड़ों को दफन या ठंडा कर शोक मनाते हैं। तुगलक-तैमूर वंश के बाद मुगलों ने भी इस परंपरा को जारी रखा। मुगल बादशाह हुमायूं ने सन्‌ नौ हिजरी 962 में बैरम खां से 46 तौला के जमुर्रद (पन्ना/ हरित मणि) का बना ताजिया मंगवाया था।
 
Tazia Muharram 2022
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

अगला लेख
More