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कुरान, इस्लाम और मुसलमान

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इस्लाम मजहब की उत्पत्ति पांचवीं सदी के उत्तरार्ध में हुई। इसके संस्थापक हजरत मुहम्मद स.व. हैं। कुरआन या कुरान ए पाक इस मजहब का पवित्र ग्रंथ है। इस्लाम को मानने वालों को मुसलमान व मुस्लिम कहा जाता है। पूरी दुनिया में 1.5 अरब से अधिक मुसलमान हैं। आओ जानते हैं तीनों के संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
कुरआन मजीद : मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं हजरत मुहम्मद सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया गया। यह संदेश ही कुरआन या कुरान के रूप में संकलित है। कुरआन की आयतें कभी भी एक समय पर नाज़िल नहीं हुई यह अलग-अलग समय पर नाज़िल हुई। कुरआन इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है। कुरआन के बाद हदीस को इस्लाम में सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है जिनकी संख्या कई है।
 
इस्लाम :  इस्लाम धर्म के प्रमुख मुकद्दस स्थल लगभग छह है- पवित्र काबा (मक्का, सऊदी अरब), पैगंबर मस्जिद (मदीना, सऊदी अरब), अल अक्सा मस्जिद (यरुशलम, इसराइल), कर्बला (बगदाद, इराक), चेरामन पेरुमल मस्जिद (केरल, भारत), ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह (अजमेर, भारत)। परंतु इसमें से प्रथम दो ही खास हैं। इस्लाम के पवित्र पांच सिद्धांत हैं- शहादा (कलमा), नमाज़ (सलात), रोज़ा (सौम), ज़कात (दान) और हज (मक्का की यात्रा)। 

613 में हजरत मुहम्मद स.व. ने उपदेश देना शुरू किया था तब मक्का-मदीना सहित पूरे अरब में यहू‍दी धर्म, पेगन, सबाइन, इस्माइली, मुशरिक और ईसाई धर्म थे। लोगों ने इस उपदेश का विरोध किया। विरोध के कारण सन् 622 में हजरत अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच कर गए। इसे 'हिजरत' कहा जाता है। मदीना में हजरत ने लोगों को इकट्ठा करके एक पवित्र मुस्लिम दल तैयार किया और फिर शुरू हुआ जंग का सफर। खंदक, खैबर, बदर और फिर मक्का को फतह कर लिया गया।
 
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की जिसमें अल्लाह ने गैब (चमत्कार) से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं। 632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था। इसके बाद इस्लाम ने यहूदियों को अरब से बाहर खदेड़ दिया। वे इसराइल और मिस्र में सिमटकर रह गए।
 
हजरत मुहम्मद सल्ल. की वफात के मात्र 100 साल में इस्लाम समूचे अरब जगत का धर्म बन चुका था। 7वीं सदी की शुरुआत में इसने भारत, रशिया और अफ्रीका का रुख किया और मात्र 15 से 25 वर्ष की जंग के बाद आधे भारत, अफ्रीका और रूस पर कब्जा कर लिया। इस जंग में सबसे ज्यादा नुकसान बौद्ध, पारसी और हिन्दुओं को झेलना पड़ा। ईरान में जहां खलिफाओं ने पारसियों को सत्ता से बेदखल कर दिया वहीं। भारत के हिन्दूकुश से लेकर सिन्धु के मुहाने तक बौद्ध और हिन्दुओं से सत्ता छीन ली गई।
 
हजरत मोहम्मद सल्ल.व. : 571 ईसवी को शहर मक्का में पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की है। आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आप के बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। आपने अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। आपके द्वारा इस पवित्र संदेश के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह पसंद नहीं आया और आपको तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया, जिसके कारण आपने सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया। इसे 'हिजरत' कहा जाता है।
 
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं। 632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं।
 
मुसलान : इस्लाम को मानने वाले को मुस्लिम और मुसलमान कहते हैं। मुसलमान शिया और सुन्नी दो पथों में बंटा हुआ है। सुन्नी भी कई गुट में बंटे हैं। सुन्नियों में हनिफी हैं जो दो गुटों में बंटें हैं- देवबंदी और बरेलवी। सुन्नियों में ही मलिकी, शाफई, हंबली, अहलेहदीस, सलफी और वहाबी है। भारत और पाकिस्तान के अहमदिया भी खुद को सुन्नी मानते हैं। 
 
शिया में कई पंथों में बंटा हुआ है। इसमें इशना, अशअरी जो है उनकी संख्या इरान, इराक, भारत, पाकिस्तान और लेबनान में अधिक है, जबकि शिया का इस्माइली पंथ भी चार पंथों में बंटा हुआ है- फातमी, बोहरा, खोजे और नुसैरी जिनकी संख्‍या ईरान, पकिस्तान और भारत में ही अधिक है। इसके अलावा जैदी है जो यमन में रहते हैं। इसके अलावा भी और भी कई पंथ हैं।

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