नई दिल्ली:इंडियन प्रमियर लीग (आईपीएल) के सबसे सफल लेग स्पिनर अमित मिश्रा का मानना है कि कलाई से गेंद को स्पिन कराना एक मुश्किल कला है जिसके लिए काफी अभ्यास के साथ मैच के बुरे पलों में कप्तान के साथ की भी जरूरत होती है।
भारतीय क्रिकेट में अंगुली के स्पिनर की जगह कलाई के स्पिनरों को तरजीह दी गयी लेकिन चार साल के बाद टीम एक बार फिर से अंगुली के स्पिनरों की तरफ देख रही है। मिश्रा का मानना है कि अच्छे लेग स्पिनर को विकसित करने में अच्छी कप्तानी की जरूरत होती है।
मिश्रा ने पीटीआई-भाषा को दिये विशेष साक्षात्कार में कहा, किसी भी लेग स्पिनर को एक अच्छे कप्तान की जरूरत होती है। जब गेंदबाज के खिलाफ रन बन रहा होता है तो उसे ऐसा कप्तान चाहिये होता है जो उसका आत्मविश्वास बढ़ा सके।आईपीएल में दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले मिश्रा ने कहा, मेरा मतलब ऐसे कप्तान से है जो लेग स्पिनर की मानसिकता को समझ सके।
मिश्रा ने भारत के लिए सभी प्रारूपों में 68 मैच खेले हैं। युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और राहुल चाहर को छोड़कर फिलहाल भारतीय क्रिकेट में कोई अच्छा लेग स्पिनर नहीं है। लेग स्पिन गेंदबाजी करने वाले राहुल तेवतिया की पहचान एक बल्लेबाजी ऑलराउंडर हैं।
उन्होंने कहा, पिछले पांच-छह वर्षों में, हमारे पास कुछ अच्छे लेग-स्पिनर आये हैं, लेकिन जब हमारे पासे और ऐसे गेंदबाज होंगे तो हमें अधिक गुणवत्ता मिलेगी, जिनके पास कौशल होगा और वे अपनी इस कला को अगली पीढ़ी के साथ साझा करेंगे।
उन्होंने कहा, लेग स्पिन से जुड़े ज्ञान को अगली पीढ़ी को बताना जरूरी है क्योंकि यह एक कला की तरह है।
मिश्रा ने आईपीएल के 150 मैचों में 160 विकेट लिये है और वह सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजी की सूची में लसित मलिंगा (170) के बाद दूसरे स्थान पर है।
इस अनुभवी गेंदबाज ने कहा, मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं कह रहा हूं कि हमारे पास अच्छे लेग स्पिनर नहीं है, हमारे पास ऐसे कई गेंदबाज है लेकिन उनमें से ज्यादातर को मार्गदर्शन की जरूरत है। एक बार जब यह मार्गदर्शन उपलब्ध होगा तो आप बड़ी संख्या में ऐसे गेंदबाजों को देखेंगे।मिश्रा ने कहा कि बल्लेबाजों ने नये शॉट इजात किये है और ऐसे में खासकर टी20 प्रारूप में यह गेंदबाजों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।
उन्होंने कहा, टी 20 एक ऐसा प्रारूप है जिसमें आप कभी ढिलाई नहीं बरत सकते। खासकर आईपीएल में, क्योंकि बल्लेबाज हमेशा आपके खिलाफ आक्रमण करना चाहते हैं। अगर आप पिछले कुछ वर्षों को देखेंगे तो टी20 के स्ट्रोकप्ले (बल्लेबाजों के शॉट) में कितने बदलाव आए हैं और इसी तरह गेंदबाज को भी विकसित होने की जरूरत है।
मिश्रा भारत के लिए आखिरी बार 2017 में खेले थे। वह 2016 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने पिछले एकदिवसीय श्रृंखला में 15 विकेट के साथ मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। इसके बाद उन्हें सिर्फ दो टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में मौका मिला और फिर टीम से बाहर कर दिया गया।
मिश्रा से जब पूछा गया कि क्या वह धीमी गेंदबाजी करते है? उन्होंने कहा, मैं लोगों को उनके निष्कर्ष निकालने से नहीं रोक सकता लेकिन यह मेरी क्षमता का प्रमाण यह है कि मैं पिछले 13 सत्रों से दुनिया की सबसे कठिन टी20 लीग में खेल रहा हूं, जो अपने आप में एक उपलब्धि है।
उन्होंने कहा, आईपीएल में सबसे अधिक विकेट लेने वालों की सूची में मैं दूसरे स्थान पर हूं। इससे ज्यादा क्या प्रदर्शन करेगा इंसान। शीर्ष लीग में मेरा प्रदर्शन शीर्ष स्तर का रहा है।उन्होंने कहा, मेरा काम प्रदर्शन करना है और पिछले कई साल से यही कर रहा हूं। ऐसे में लोग मेरे बारे में क्या सोच रहे है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।(भाषा)