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कौन हैं डॉ आशीष झा, जिन्हें कोरोना के खिलाफ जंग में बाइडन ने दी अहम जिम्मेदारी

हमें फॉलो करें कौन हैं डॉ आशीष झा, जिन्हें कोरोना के खिलाफ जंग में बाइडन ने दी अहम जिम्मेदारी
, शनिवार, 19 मार्च 2022 (12:12 IST)
नई दिल्‍ली, अमेरिका में एक और भारतीय को बड़ी जिम्‍मेदारी मिली है। बिहार के रहने वाले आशीष झा को अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में रिस्‍पॉन्‍स को-ऑर्डिनेटर नियुक्‍त किया है।
51 साल के आशीष कुमार झा बिहार के मधुबनी के पुरसोलिया गांव में जन्मे थे। उनका परिवार 1979 में टोरंटो, कनाडा और 1983 में अमेरिका जाकर बस गया।

झा ने 1988 में न्यू जर्सी के बूनटन हाई स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 1992 में कोलंबिया से अर्थशास्त्र में बीए की पढ़ाई पूरी की। आशीष झा ने 1997 में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से एमडी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में इंटरनल मेडिसिन की पढ़ाई की।

2004 में झा ने हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल से पब्लिक हेल्थ में मास्टर डिग्री हासिल की थी। एमडी, एमपीएच, हार्वर्ड टीएच में ग्लोबल हेल्थ के सहायक प्रोफेसर हैं।

वह हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रैक्टिस करने वाले जनरल इंटर्निस्ट और मेडिसिन के प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में ब्रिघम और महिला अस्पताल में अपनी जनरल मेडिसिन फेलोशिप पूरी की, जबकि हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल से एमपीएच की डिग्री हासिल की।

डॉ. झा ने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 200 से अधिक विभिन्न पत्र प्रकाशित किए हैं। वह एक व्यक्तिगत ब्लॉग के प्रमुख हैं, जो स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्टेटिकल डेटा रिसर्च का उपयोग करता है।

डॉ. झा नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और मेडिसिन में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के सदस्य हैं। उन्हें अपनी रिसर्च और प्रैक्टिस के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।

उन्‍हें हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से सर्वश्रेष्ठ मूल शोध के लिए रोज़ सीगल पुरस्कार और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को से हाउसस्टाफ टीचिंग अवॉर्ड मिल चुके हैं।

मार्च 2020 के दौरान आशीष झा ने COVID-19 महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए अमेरिका में दो सप्ताह के नेशनल क्वारंटाइन का आह्वान किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि पहले से ही वायरस से संक्रमित लोगों को लक्षण दिखाना शुरू करने में दो सप्ताह तक का समय लगता है।

उन्होंने कहा था कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि निर्णय लेने की बेहतर जानकारी देने के लिए यह बीमारी कितनी व्यापक है।

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