नई दिल्ली। अफगानिस्तान में खौफ का पर्याय बन चुका तालिबान लगता है कि आंतरिक संघर्ष में उलझकर रह गया है। तालिबान की अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है, लेकिन 'पॉवर' को लेकर भीतर ही भीतर घमासान शुरू हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला अखुंदजादा और उपप्रधानमंत्री इस संघर्ष में मारे गए हैं। हालांकि इसकी अभी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्ता के लिए तालिबान के 2 गुटों में ही संघर्ष हुआ है। हक्कानी गुट के साथ हुए झगड़े में माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा नुकसान मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को हुआ है। एक तरफ यह भी माना जा रहा है कि बरादर को बंधक बना लिया गया है, जबकि दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि बरादर इस संघर्ष में मारा गया है। इससे पहले भी एक बार मुल्ला बरादर की मौत की खबर उड़ चुकी थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर माह में तालिबान के दोनों धड़ों की बैठक हुई थी। इस दौरान भी दोनों गुटों में विवाद हुआ था। बताया जाता है कि इस दौरान हक्कानी नेता खलील हक्कानी ने बरादर पर मुक्के बरसाए थे। दरअसल, बरादर की छवि एक नरम नेता की है, जो कैबिनेट में गैर-तालिबानियों और अल्पलसंख्यकों को भी जगह देने का दबाव बना रहा था। इसके पीछे बरादर का मकसद का था कि तालिबान सरकार की छवि अच्छी बने और दुनिया के अन्य देश तालिबान सरकार को मान्यता दें।
दरअसल, इन दोनों नेताओं की मौत के पीछ बड़ी वजह इस बात को माना जा रहा है कि ये दोनों नेता लंबे समय से जनता के बीच दिखाई नहीं दिए हैं। बीच में कहा गया था कि मुल्ला अखुंदजादा कंधार में है। उल्लेखनीय है कि तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था।
इससे पहले यह भी खबरें सामने आई थीं कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान सरकार के मुखिया होंगे, लेकिन ऐन वक्त पर मुल्ला हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बना दिया गया, जबकि बरादर को उनका डिप्टी बनाया गया।