नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रम का सर्वाधिक प्रभाव भारत जैसे उसके पड़ोसी देशों पर होगा और अगर वहां अस्थिरता और कट्टरवाद बरकरार रहा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपने डिजिटल संबोधन में मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी नहीं है और बिना वार्ता के हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि नई व्यवस्था पर मान्यता वैश्विक समुदाय सोच समझ कर ले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश के ताजा घटनाक्रमों को देखते हुए इस मामले में क्षेत्रीय फोकस और सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम का सबसे अधिक प्रभाव हम जैसे पड़ोसी देशों पर होगा। इसलिए इस मुद्दे पर क्षेत्रीय फोकस और सहयोग आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने चेताया कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। इससे ड्रग्स, अवैध हथियारों और मानव तस्करी का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं और इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट है और वित्तीय व्यापार के प्रवाह में रुकावट के कारण अफगानिस्तान की जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है तथा साथ ही कोरोना की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है।
उन्होंने कहा कि विकास और मानवीय सहायता के लिए भारत बहुत वर्षों से अफगानिस्तान का विश्वस्त सहयोगी रहा है। मूलभूत संरचनाओं से लेकर शिक्षा, सेहत और क्षमता निर्माण तक हर क्षेत्र में और अफगानिस्तान के हर भाग में हमने अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज भी हम अपने 'अफगान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि पहुंचाने के लिए इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा कि हम सभी को मिल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बाद्ध तरीके से पहुंच सके।