Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अफगानिस्तान से लौटे भारतीय की दहशत भरी दास्तान, अब भी सिहर उठते हैं...

हमें फॉलो करें अफगानिस्तान से लौटे भारतीय की दहशत भरी दास्तान, अब भी सिहर उठते हैं...
, सोमवार, 23 अगस्त 2021 (16:39 IST)

शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। अफगानिस्तान से सोमवार को वापस लौटे शाहजहांपुर के निवासी एक युवक की दास्तान बेहद खौफ भरी है। जीत बहादुर थापा दहशत के साये में 30 किलोमीटर पैदल चलकर दूतावास पहुंचने, रास्ते में अफगान लुटेरों का शिकार बनने और खाली मैदान में तालिबान के दहशत भरे साये में कई घंटे गुजारने की कहानी सुनाकर सिहर उठते हैं।

 
हालांकि वह तालिबान द्वारा महिलाओं और बच्चों के साथ अत्याचार किए जाने की खबरों को गलत बताते हुए कहते हैं कि तालिबान अफगानिस्तान के लोगों से मुल्क न छोड़ने की अपील करते हुए उन्हें पूरी सुरक्षा का आश्वासन दे रहे हैं।
 
शहर के सदर बाजार थाना अंतर्गत चिनोर गांव के मूल निवासी जीत बहादुर थापा ढाई साल से अफगानिस्तान की कंसलटेंसी कंपनी आईडीसीएस में सुपरवाइजर के पद पर काम कर रहे थे। इस कंपनी में भारत के 118 लोग उनके मातहत काम करते हैं।
 
थापा ने बताया कि वह सोमवार सुबह ही दिल्ली से वापस अपने घर शाहजहांपुर आए हैं। वह बताते हैं कि 15 अगस्त से एक सप्ताह पहले से वह और उनके सहकर्मी तालिबान के काबुल को घेर लिये जाने से भयभीत थे। सभी 118 लोग आपसी सलाह-मशविरे के बाद 15 अगस्त को शाम छह बजे डेनमार्क दूतावास के लिए पैदल रवाना हुए।
 
उन्होंने बताया- 'हम लोग गली-कूचों में जा रहे थे। तालिबान का भय भी था। इसी बीच, कुछ लुटेरों ने हम सभी को रोक लिया और हमारे पास मौजूद करीब एक लाख रुपए और बाकी सारा सामान भी लूट लिया। दूतावास से कुछ दूर पहले ही तालिबान के कुछ सदस्य आ गए और उन्होंने पूछा कि क्या तुम लोग हिंदू हो। खुद को भारतीय नागरिक बताए जाने पर उन्होंने हमें जाने दिया। अपने साथ हुई लूटपाट की घटना के बारे में बताने पर तालिबान ने कहा कि वे नहीं, अफगानिस्तान के स्थानीय लुटेरे लूटपाट कर रहे हैं।
 
थापा ने बताया कि वह और उनके साथी 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके रात में ही डेनमार्क दूतावास पहुंच गए। अंधेरे में चलने के कारण गिरने से कई लोग घायल भी हो गए। बहरहाल, 18 अगस्त को वे सेना के हवाई अड्डा क्षेत्र में पहुंचे। वहां भारी भीड़ थी। वहां मौजूद तालिबान बंदूकधारियों ने सभी भारतीयों को करीब 5 घंटे तक एक खुली जगह में जमीन पर बैठाया। तालिबान के लगातार पहरे के बीच भारतीय बिना हिले-डुले बैठे रहे क्योंकि तालिबान के पास आधुनिक हथियार थे और इस बात का डर था कि जरा सी हरकत करने पर कहीं वे जान से न मार दें।
 
थापा ने बताया कि उसके बाद नाटो सेना ने उन्हें अपनी सुरक्षा में ले लिया। सभी लोग ईश्वर को लगातार याद कर रहे थे। इसी बीच सेना का एक हवाई जहाज आया। उसमें बैठकर वह और उनके सभी साथी 22 अगस्त की सुबह दिल्ली पहुंच गए।
 
जीत बहादुर थापा ने एक सवाल पर कहा कि अफगानिस्तान में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल है। सभी कंपनियां और दफ्तर बंद हैं। घरों से कोई भी बाहर नहीं निकल रहा है।
webdunia
खबरों में तालिबान द्वारा महिलाओं पर जुल्म किए जाने की बात प्रचारित किए जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि तालिबान महिलाओं के साथ अत्याचार नहीं कर रहे हैं। यह गलत खबरें हैं और ना ही बच्चों के साथ कोई ऐसा हादसा हो रहा है। हां, इतना जरूर है कि अफगानिस्तान में महिलाएं और बच्चे काफी भयभीत हैं। इसीलिए कोई भी महिला सड़क पर नजर नहीं आ रही है।
 
थापा ने बताया कि तालिबान लगातार सड़कों पर घूम रहे हैं, जिसके चलते भय का माहौल व्याप्त है। तालिबान मुल्क के लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं कि कोई भी व्यक्ति अफगानिस्तान छोड़कर ना जाए। वे किसी को कोई परेशानी नहीं होने देंगे।' (भाषा)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

असम और उत्तरी बंगाल में आया 4 तीव्रता का भूकंप, जानमाल का नुकसान नहीं