कोलंबो। श्रीलंका में हुए भीषण धमाकों के बाद घायल बच्चों को लेकर कोलंबो के एक अस्पताल पहुंचे शांता प्रसाद के मन में देश के भीषण गृहयुद्ध की यादें ताजा हो गईं। उन्होंने सोमवार को कहा कि कल मैं करीब 8 घायल बच्चों को अस्पताल लेकर गया।
रविवार को श्रीलंका के होटलों और गिरजाघरों को निशाना बनाकर किए गए सिलसिलेवार धमाकों में करीब 300 लोगों की मौत हो गई। प्रसाद ने कहा कि घायलों में मेरी बेटियों की उम्र के बराबर की 6 और 8 साल की दो बच्चियां थीं। वे स्ट्रेचर पर घायलों को अस्पताल के अंदर और वार्डों में पहुंचाने में मदद कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उनके (घायलों) कपड़े फटे हुए थे और वे खून से लथपथ थे। इस तरह की हिंसा देखना बहुत असहनीय है। रविवार को श्रीलंका के गिरजाघरों और आलीशान होटलों को निशाना बनाकर किए गए हमलों ने देश के लोगों के मन में करीब तीन दशक तक चले संघर्ष की दर्दनाक यादें ताजा कर दीं, जिसमें करीब एक लाख लोग मारे गए थे।
उन दिनों बम हमले रोजाना की बात हुआ करते थे और अनेक श्रीलंकावासी सड़कों तथा सार्वजनिक परिवहन से दूर ही रहते थे। राजधानी में सड़क सफाईकर्मी मलाथी विक्रमा ने सोमवार को कहा कि अब वह अपना काम करने से घबरा रहा है। उसने कहा कि अब हमें कचरे से भरे प्लास्टिक के काले बैग तक को छूने में डर लग रहा है।
विक्रमा ने कहा कि कल के सिलसिलेवार धमाकों ने हमारे मन में उस डर को ताजा कर दिया है जब हम पार्सल बम के डर से बसों या ट्रेनों में जाने से डरते थे। कल के हमलों के चलते स्कूल और स्टॉक एक्सचेंज बंद हैं। हालांकि कुछ दुकानें खुली हैं और सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन जारी है।
तीन बच्चों के पिता करुणारत्ने ने कहा कि मैं धमाकों के बाद घटनास्थल पहुंचा और मैंने हर जगह लाशें ही लाशें देखीं। उन्होंने कहा कि मेरे बच्चों ने भी टीवी पर ये तस्वीरें देखीं और अब वे गिरजाघर जाने से बहुत डर रहे हैं। वे मुझसे कई सवाल करते हैं और पूछते हैं- भगवान कहां है?’’
होगी जांच क्यों असफल रहा खुफिया विभाग : श्रीलंका पुलिस ने सोमवार को कहा कि वह ईस्टर के दिन हुए 8 सिलसिलेवार बम विस्फोटों के संबंध में खुफिया विभाग की असफलता की जांच करेगी। जांच की जाएगी कि खुफिया विभाग इन हमलों की साजिश का पता लगाने और इनके संबंध में चेतावनी जारी करने में असफल कैसे रहा।
पुलिस प्रवक्ता रुवान गुणशेखर ने बताया कि श्रीलंका के विभिन्न गिरजाघरों और लक्जरी होटलों में रविवार, ईस्टर के दिन हुए विस्फोटों में अभी तक 290 लोगों की मौत हुई है जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हैं। देश में एक दशक पहले खत्म हुए गृह युद्ध के बाद यह सबसे हिंसक घटना है। सरकार के दो मंत्रियों ने भी खुफिया विभाग की असफलता का जिक्र किया।