लंदन। भारतीयों सहित दक्षिण एशियाई मूल के लोग उन जातीय समूहों में शामिल हैं, जिन्हें कोविड-19 से संक्रमित होने और गंभीर रूप से प्रभावित होने का खतरा अधिक है। यह बात ब्रिटेन सरकार द्वारा अधिकृत एक समीक्षा में शुक्रवार को सामने आई।
कोविड-19 स्वास्थ्य असमानता शीर्षक वाले अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन में अश्वेत और दक्षिण एशियाई जातीय समूह के लोगों की कोरोना वायरस से जान गंवाने की दर श्वेतों की तुलना में अभी भी अधिक है। साथ ही इसमें यह भी पता चला कि टीकाकरण दर, व्यवसाय आदि भी इस अंतर के कारकों में शामिल है।
अद्यतन विश्लेषण पहले उल्लेखित उन आंकड़ों की पुष्टि करता है कि श्वेत ब्रिटिश समूहों की तुलना में अश्चेत अफ्रीकी, अश्वेत कैरेबियाई, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी जातीय समूहों के लोगों को कोविड-19 से मृत्यु का अधिक खतरा है।
ब्रिटेन की सरकार द्वारा कोविड-19 पर नियुक्त स्वतंत्र सलाहकार डॉ. आर अली, वरिष्ठ क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, सलाहकार एक्यूट मेडिसिन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स ने कहा कि पहली दो लहरों में, जातीय अल्पसंख्यकों में देखी गई उच्च मृत्यु दर मुख्य रूप से श्वेतों की तुलना में उनके संक्रमण के उच्च जोखिम के कारण थी।
उन्होंने कहा कि हालांकि, तीसरी लहर में हम श्वेतों की तुलना में जातीय अल्पसंख्यकों में कम संक्रमण दर देख रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की दर और मृत्यु दर अभी भी अधिक है। हालांकि पिछले साल की तुलना में सभी जातीय अल्पसंख्यकों में टीकों की दर में काफी वृद्धि हुई है।