इस्लामाबाद। अमेरिका ने परमाणु व्यापार के संदेह के आधार पर पाकिस्तान की सात कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है और इस कदम से उसके परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने की संभावनाएं क्षीण हो गई हैं। पाकिस्तान सरकार की तरफ से सोमवार को इस मामले में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है।
अमेरिका के उद्योग, वाणिज्य एवं सुरक्षा ब्यूरो के अनुसार इन कंपनियों पर 22 मार्च को प्रतिबंध लगाया गया और इन्हें 'एनटिटी लिस्ट' में डाल दिया गया। ब्यूरो की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार ने इन कंपनियों को अपने राष्ट्रीय हितों और विदेश नीति के खिलाफ काम करते हुए पाया है।
वाणिज्य मंत्रालय की इस सूची में शामिल कंपनियों की संपत्ति जब्त नहीं की जाती है, लेकिन अमेरिकी कंपनियों के साथ काम करने वाली ऐसी कंपनियों को भविष्य में अपने कारोबार के लिए विशेष लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाता है। ये कंपनियां काफी मशहूर भी नहीं हैं और न ही इनकी तरफ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है।
इससे पहले भी पाकिस्तानी अधिकारियों पर गोपनीय परमाणु जानकारी उत्तर कोरिया को देने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है। पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के जनक माने-जाने वाले वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने 2004 में कहा था कि उन्होंने परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी गोपनीय जानकारी उत्तर कोरिया को बेची है।
संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी समूह ने 2008 में कहा था कि खान का नेटवर्क 12 देशों में सक्रिय था और इसके जरिए ईरान, लीबिया तथा उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों के ब्लूप्रिंट की तस्करी की गई है। पाकिस्तान ने वर्ष 2016 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन इस मसले में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। (वार्ता)