लाहौर। पाकिस्तान में दो संगठनों ने शहीद-ए-आजम भगतसिंह की 87वीं पुण्यतिथि मनाई। उन्होंने भगतसिंह को पाकिस्तान का ‘राष्ट्रीय नायक’ घोषित करने की मांग की।
भगतसिंह को 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की अल्पायु में राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर में फांसी दे दी गई थी। भगतसिंह मेमोरियल फाउंडेशन (बीएसएमएफ) और भगतसिंह फाउंडेशन पाकिस्तान (बीएसएफपी) ने शुक्रवार को शादमान चौक पर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए। शादमान चौक पर ही भगतसिंह को फांसी दी गई थी।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों ने तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि दी। भगतसिंह के कुछ रिश्तेदारों ने टेलीफोन से उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित भी किया। बीएसएमएफ के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद ने एक प्रस्ताव भी पेश किया जिसमें ब्रिटेन की महारानी से तीनों शहीदों को फांसी देने के लिए माफी मांगने और उनके परिवारों को मुआवजा देने की मांग की गई।
उन्होंने मांग की कि एक सड़क का नाम भगतसिंह के नाम पर रखा जाए और स्कूल की पाठ्य पुस्तक में उनके बारे में एक अध्याय भी शामिल किया जाए। साथ ही एक डाक टिकट जारी करने और शादमान चौक पर भगतसिंह की प्रतिमा लगाने की भी मांग की गई।
बीएसएफपी के संस्थापक अध्यक्ष अब्दुल्ला मलिक ने कहा कि भगतसिंह ने साम्राज्यवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उन्हें महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें सिंह तथा उनके साथियों को ‘राष्ट्रीय नायक’ घोषित करें। (भाषा)