लंदन। वैज्ञानिकों ने कहा है कि बृहस्पति के चन्द्रमा 'यूरोपा' के विषुवतीय क्षेत्रों में करीब 15 मीटर ऊंची बर्फ की धारदार चादर फैली हुई हो सकती है। यह वहां जीवन की तलाश को मुश्किल बना सकती है।
ब्रिटेन स्थित कार्डिफ विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने बताया कि पिछले अंतरिक्ष अभियानों में यूरोपा को हमारी सौर प्रणाली में जीवन के लिए सर्वाधिक अनुकूल गंतव्यों में एक पाया गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इसकी सतह के नीचे पानी के बड़े सागर हैं।
'नेचर जियोसाइंस जर्नल' में प्रकाशित हुए नए अध्ययन के मुताबिक किसी संभावित 'लैंडिंग मिशन' को यूरोपा की सतह पर उतरने से पहले 'पेनीटेंट्स' नाम की खतरनाक बाधाओं को पार करना होगा। पेनीटेंट्स धारदार किनारे वाली बर्फ की बनी चादरें हैं और इनकी नोक भी बर्फ की बनी हुई हैं। कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ अर्थ एंड ओशन साइंसेज के डेनियल होबले ने बताया कि बृहस्पति के इस उपग्रह की अनोखी परिस्थितियां खोजी संभावनाओं के साथ-साथ संभावित खतरे को भी पेश करती हैं।
गौरतलब है कि पेनीटेंट्स पृथ्वी पर भी मौजूद हैं और ये एक से 5 मीटर लंबे होते हैं लेकिन ये एंडीज पर्वत जैसे स्थानों पर अत्यधिक ऊंचाई पर ऊष्ण कटिबंधीय और ऊपोष्ण कटिबंधीय परिस्थितियों तक ही सीमित हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया कि यूरोपा पर अधिक एकरूपता वाले पेनीटेंट्स के लिए अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं। इसकी सतह पर काफी मात्रा में बर्फ है। हालांकि यूरोपा पर अभी तक कोई भी अंतरिक्ष यान नहीं उतरा है। वहीं नासा यूरोपा क्लिप्पर के जरिए इस उपग्रह के लिए 2022 तक अभियान भेजने का इरादा रखता है। समझा जा रहा है कि एक लैंडिंग मिशन इसके शीघ्र बाद हो सकता है। (भाषा)