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भारत के विकास में यह है सबसे बड़ी चुनौती

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, बुधवार, 11 अप्रैल 2018 (13:36 IST)
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र के दौरान कहा कि अनियोजित शहरीकरण और प्रवास के कारण मूलभूत सेवाएं मुहैया कराने तथा जीवन-यापन के हालातों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सत्र के दौरान भारत ने सतत/धारणीय शहरों और लोगों के एक से दूसरे स्थान पर जाकर बसने के मुद्दों पर व्यापक दृष्टिकोण रखने का आह्वान किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पौलोमी त्रिपाठी ने 'जनसंख्सा एवं विकास आयोग' के 51वें सत्र में मंगलवार को यहां कहा कि दुनिया की आबादी का आधा से अधिक हिस्सा शहरी इलाकों में रहता है और 2050 तक इसके दो-तिहाई स्तर को पार कर जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि मानव इतिहास में आज से पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में लोग अपने मातृदेश या मूल स्थान से बाहर नहीं रहे। इन अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में से अधिकांश शहरी इलाके में रहते हैं और काम करते हैं। पूंजी, प्रौद्योगिकी, वस्तु एवं सेवाओं और लोगों की गतिशीलता भूमंडलीकरण के इस युग की विशेषताएं परिभाषित कर रही हैं।
 
'धारणीय शहर, मानव गतिशीलता और अंतरराष्ट्रीय प्रवास' विषय पर आयोजित सत्र में उन्होंने कहा कि इसलिए शहरीकरण अर्थव्यवस्था और समाज के लिए एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है। पौलोमी ने कहा कि स्थायी शहरों और मानव गतिशीलता के मुद्दों से निपटने के लिए एक व्यापक और संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है।
 
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रवास के कारण शहरी इलाकों में नए विचार, ऊर्जा और सांस्कृतिक विविधता आती है जबकि अनियोजित शहरीकरण और प्रवास के कारण सेवा मुहैया कराने और रहने की स्थितियों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि समस्या तब ज्यादा गंभीर होती है, अगर प्रवास अलगाव के उच्च स्तरों पर होती है और मेजबान समुदाय के पास उसे समायोजित करने की समस्या होती है।  (भाषा)

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