पेरिस। फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और उसमें भारत की स्थाई सदस्यता तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता संबंधी प्रयास का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई।
भारत लंबे वक्त से सुरक्षा परिषद में सुधार करने की मांग कर रहा है और उसका कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनने का हकदार है। सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई हैं। विश्व निकाय में दस अस्थाई सदस्य हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा दो वर्ष के लिए चुनती है। रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस तथा अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं।
बुधवार को जारी एक संयुक्त बयान में भारत और फ्रांस जी20 के मसौदे के तहत मजबूत सहयोग बनाए रखने पर सहमत हुए और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के साथ ही एनएसजी में भी भारत को शामिल करने को लेकर अपना समर्थन दोहराया।
भारत ने कहा है कि वह एनएसजी में शामिल होने के अपने प्रयासों को किसी निर्णय तक पहुंचाने के लिए सदस्य देशों के साथ बातचीत कर रहा है। एनएसजी में 48 देश हैं जो परमाणु प्रौद्योगिकी और आण्विक सामग्री के व्यापार एवं हस्तांतरण को नियंत्रित करने के साथ-साथ परमाणु हथियारों के अप्रसार में भी सहयोग करते हैं।
चीन एनएसजी में भारत के शामिल होने का विरोध करता है। उसका तर्क है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। चीन के विरोध ने भारत के समूह में शामिल होने की राह को कठिन बना दिया है, क्योंकि एनएसजी सहमति के सिद्धांत पर चलता है।
गौरतलब है कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा की और दोनों नेता भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के अगले चरण के लिए महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार करने पर सहमत हुए।
प्रधानमंत्री मोदी यूरोप के तीन देशों की यात्रा के आखिरी पड़ाव पर डेनमार्क से बुधवार को पेरिस पहुंचे और उन्होंने मैक्रों के साथ अनेक मुद्दों पर गहन वार्ता की। मैक्रों एक सप्ताह पहले ही इस पद पर दोबारा निर्वाचित हुए हैं।(भाषा)