बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत और जर्मनी के बीच साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता का उदाहरण बन सकती है। इस बीच दोनों देशों ने सतत विकास पर केंद्रित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत को 2030 तक 10.5 अरब डॉलर की सहायता मिलेगी।
मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ अंतरसरकारी परामर्श (आईजीसी) के 6ठे पूर्ण सत्र की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान में जर्मनी को भी भागीदारी के लिए आमंत्रित किया। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अपने उद्घाटन भाषण में दोनों नेताओं ने सत्र के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख पहलुओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
इसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और जर्मनी के बीच साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता का उदाहरण बन सकती है। दोनों पक्षों के भाग लेने वाले मंत्रियों और अधिकारियों ने आईजीसी के विभिन्न पहलुओं संबंधी अपनी बैठकों पर संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें विदेशी, सुरक्षा, आर्थिक, वित्तीय नीति, वैज्ञानिक और सामाजिक विनिमय, जलवायु, पर्यावरण, सतत विकास और ऊर्जा से जुड़े मुद्दे शामिल थे।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अनुराग जैन ने भारत की ओर से प्रस्तुतियां दीं। पूर्ण सत्र का समापन प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शॉल्ज द्वारा हरित और सतत विकास साझेदारी की स्थापना के संयुक्त घोषणा पत्र (जेडीआई) पर हस्ताक्षर के साथ हुआ।
विदेश मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा कि यह साझेदारी सतत विकास लक्ष्यों और जलवायु कार्रवाई पर भारत-जर्मनी सहयोग के लिए एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की परिकल्पना करती है जिसके तहत जर्मनी 2030 तक 10 अरब यूरो (10.5 अरब डॉलर) की नई और अतिरिक्त विकास सहायता की अग्रिम प्रतिबद्धता के लिए सहमत हो गया है।