नई दिल्ली। भारत में निर्मित चार कफ सिरप से गांबिया में संभावित रूप से 66 बच्चों की मौत के मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से प्राप्त विवरण और प्रतिकूल घटना रिपोर्ट की जांच के लिए सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की 4 सदस्यीय समिति का गठन किया।
उन्होंने कहा कि प्रतिकूल घटना रिपोर्ट, कारण संबंध और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साझा किए गए या साझा किए जाने वाले सभी संबंधित विवरणों की जांच और विश्लेषण करने के बाद, समिति भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) को आगे की कार्रवाई की सलाह देगी और सिफारिश करेगी।
यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब हरियाणा सरकार ने मेडेन फार्मास्युटिकल्स की सोनीपत इकाई में दवा निर्माण को रोकने का आदेश दिया और एक सप्ताह के भीतर हाल ही में निरीक्षण के दौरान पाए गए 'कई उल्लंघनों' पर स्पष्टीकरण देने अथवा निलंबन या लाइसेंस रद्द किए जाने का सामना करने के लिए कहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण कंपनी द्वारा निर्मित खांसी के सिरप को बताए जाने के कुछ दिन बाद रोक का यह आदेश आया है।
तकनीकी विशेषज्ञों की चार सदस्यीय समिति में चिकित्सा संबंधी स्थायी राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष डॉ. वाई के गुप्ता, पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की डॉ. प्रज्ञा डी यादव, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के महामारी विज्ञान विभाग की डॉ. आरती बहल और सीडीएससीओ के एके प्रधान शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने 29 सितंबर को केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण ब्यूरो (सीडीएससीओ) को सूचित किया था कि वे गांबिया को तकनीकी सहायता व परामर्श उपलब्ध करा रहे हैं। ऐसी आशंका है कि प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप नामक दवाओं के इस्तेमाल से बच्चों की मौत हुई।
इन दवाओं की निर्माता कंपनी हरियाणा में स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड है जिसने इनका निर्यात किया था। भाषा Edited by Sudhir Sharma