वाशिंगटन। चीन ने पाकिस्तान से एक बार फिर दोस्ती निभाते हुए उसे ब्लैक लिस्ट होने से बचा लिया। अब उसे 3 माह में आतंकवाद वित्तपोषण पर अपनी कार्ययोजना को पूरा करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को वित्तपोषण पर अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में विफल रहा है। गौरतलब है कि जून, 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया था।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्टूबर तक अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है जिसके तहत उसे काली सूची में डाला जा सकता है।
फ्लोरिडा के ओरलैंडो में अपनी पूर्ण बैठक के समापन पर जारी एक बयान में, एफएटीएफ ने चिंता व्यक्त की कि न केवल पाकिस्तान जनवरी की समय सीमा के साथ अपनी कार्ययोजना को पूरा करने में विफल रहा, बल्कि वह मई 2019 तक भी अपनी कार्य योजना को पूरा करने में भी विफल रहा है। एफएटीएफ ने कड़ाई से पाकिस्तान से अक्टूबर 2019 तक अपनी कार्ययोजना को पूरा करने का अनुरोध किया।
चीन, तुर्की और मलेशिया ने दिया साथ : आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को इस मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के तीन सदस्यों चीन, तुर्की और मलयेशिया का साथ मिला। हालांकि अब भी उसके ऊपर से संकट के बादल छंटे नहीं हैं।
भारत लाया था यह प्रस्ताव : भारत चाहता था कि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में शामिल किया जाए। क्योंकि अब तक पाकिस्तान वित्तीय अपराध और आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने में असफल रहा है।