* ईरान के चाबहार बंदरगाह को भारत विकसित कर रहा है। यह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से 85 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे चीन विकसित कर रहा है। पाकिस्तान के ग्वादर में चीन के दखल के जवाब में भारत ने चाबहार बंदरगाह परियोजना को हाथ में लिया है क्योंकि भारत, अफगानिस्तान और ईरान के लिए इसकी रणनीतिक अहमियत भी है।
* चाबहार परियोजना के पहले चरण के उद्घाटन से इतर भारत-अफगानिस्तान-ईरान के मध्य मंत्रिस्तरीय बैठक भी हुई। इसमें त्रिपक्षीय पारगमन (ट्रांजिट) एवं व्यापारिक समझौते पर भी बातचीत की गई। इस समझौते पर हालांकि ईरान ने अभी मुहर नहीं लगाई है मगर भारत को उम्मीद है कि ईरान जल्द इसको अनुमोदित कर देगा।
* ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को देश के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित रणनीतिक महत्व के चाबहार बंदरगाह पर नव निर्मित विस्तार क्षेत्र का उद्घाटन किया।
* ओमान की खाड़ी से लगे चाबहार बंदरगाह की मदद से भारत अब पाकिस्तान का रास्ता बचाकर ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक आसान और नया व्यापारिक मार्ग अपना सकता है। चाबहार बंदरगाह के इस पहले चरण को शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के तौर पर भी जाना जाता है।
* ईरान की सरकारी कंपनी खातम अल-अनबिया इस परियोजना का निर्माण कर रही है। इस 34 करोड़ डॉलर की परियोजना का निर्माण ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड (सेना) से संबद्ध कंपनी खातम अल-अनबिया कर रही है। यह सरकारी निर्माण परियोजना का ठेका पाने वाली ईरान की सबसे बड़ी कंपनी है। ठेका पाने वालों में कई छोटी कंपनियां भी शामिल हैं जिनमें भारत की एक सरकारी कंपनी भी शामिल है।
* इस बंदरगाह की सालाना मालवहन क्षमता 85 लाख टन होगी जो अभी 25 लाख टन है। इस विस्तार में पांच नई गोदियां (तटबंध) बनाए गए हैं जिनमें से दो पर कंटेनर वाले जहाजों के लिए सुविधा दी गई है। इनमें से दोनों पर 1 लाख टन के सामान के साथ जहाज आ सकते हैं।