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इस झील के पानी को छू भी लिया तो पत्थर के बन जाओगे

हमें फॉलो करें इस झील के पानी को छू भी लिया तो पत्थर के बन जाओगे
, गुरुवार, 14 जनवरी 2021 (15:09 IST)
नमस्कार! रोचक-रोमांचक के सफर में आज हम आपको बताते हैं एक ऐसी रहस्यमयी झील के बारे में जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। वैसे भारत में में भी कई रहस्यमी झीलें है परंतु हम बात कर रहे हैं तंजानिया की बेहद की खतरनाक झील के बारे में। जी हां, यह खतरनाक इसीलिए है क्योंकि इसके बारे में कहा जाता है कि इसके पानी को छूते ही लोग पत्थर के बन जाते हैं, तो चलो जानते हैं इस झील के बारे में।
 
 
झील का नाम सुनते ही मन में सुकून भर आता है परंतु आप इस झील से बचकर ही रहें क्योंकि यह कोई मामूली झील नहीं जादुई झील है। लोग तो इसके बारे में यही कहते हैं। यह झील स्थित है पूर्वी अफ्रीका के देश तंजानिया के उत्तर में। उत्तरी तंजानिया की नेट्रॉन झील को सबसे खतरनाक झीलों में नंबर वन पर माना जाता है। वहां के लोगों में यह मान्यता प्रचतलत है कि इस झील के पानी को जो भी छूता है, वह पत्थर का बन जाता है। इसका सुबूत हैं झील के आस-पास पाए जाने वाले सैंकड़ों पशु और पक्षियों की पत्थर की मूर्तियां। इन्हें देखने से लगता है कि सचमुच में ही इन्होंने पानी को छूआ होगा।
 
तो है ना हैरान करने वाली बात। जब पशु और पक्षी पत्थर के बन सकते हैं तो मानव क्यों नहीं? इसलिए आप यहां बिल्कुल मत जाइयेगा। तंजानियन की नेट्रॉन झील के चारों ओर सैकड़ों पक्षियों की मूर्तियां पड़ी हैं, जिनके बाल तक पत्थर के हैं जो कि एक आश्चर्य है। आखिर यह कैसे संभव हुआ होगा? क्या इन मूर्तियों को किसी ने तराशकर यहां रख दिया है या कि सच में ही यह इसी झील की ही करतूत है? क्योंकि मानव निर्मित पत्थर की कोई भी आकृति इतनी सटीक नहीं हो सकती। हालांकि इसका रहस्य तो अभी तक बना हुआ है परंतु वैज्ञानिक यह नहीं मानते हैं कि यह कोई जादुई झील है।
 
तंजानिया के अरुषा इलाके में बनी इस रहस्यमयी झील के दूरदराज तक कोई आबादी नहीं है। इस झील के आसपास पत्थर के जानवर और मूर्तियां पड़ी हैं, जिन्हें देखकर झील के जादुई होने की बात अब सभी मानते हैं। परंतु वैज्ञानिक कहते हैं कि इसके पीछे कोई जादुई शक्ति नहीं बल्कि पानी का रासायनिक होना है।
 
दरअसल नेट्रॉन झील एक अल्केलाइन झील है, जहां के पानी में सोडियम कार्बोनेट की मात्रा बहुत ज्यादा है। पानी में अल्केलाइन की मात्रा पीएच9 से पीएच 10.5 है जो अमोनिया जितनी है। इस झील में जाने वाले पशु-पक्षी कैल्सिफाइड होकर पत्थर बन जाते हैं। यही कारण है कि इस झील में ज्यादा वक्त बिताने वाले जानवर रासायनिक मौत का शिकार होते हैं। पानी में एक ऐसा तत्व भी पाया गया जो ज्वालामुखी की राख में होता है। इस तत्व का प्रयोग मिस्रवासी ममियों को सुरक्षित रखने के लिए करते थे। इसीलिए यहां पर जो भी पक्षी मृत हो जाता था उसका शरीर वर्षों तक सुरक्षित रहता है। इसी तरह धीरे-धीरे यहां पर मृत पशु और पक्षियों की संख्या बढ़ती गई जिनके शरीर आज तक सुरक्षित हैं। 
 
इस रहस्यमयी झील से पर्दा उठाने के लिए एक बार पर्यावरणविद और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर नीक ब्रेंडेट झील के पास गए और उन्होंने वहां की ढेर सारी फोटो खींची। इस पर उन्होंने एक बुक भी लिखी है जिसका नाम है- 'एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड' इस किताब में ऐसी कई बातें बताई गई हैं, जो झील के रहस्यों को उजागर करती है। हालांकि नीक ब्रेंडेट इस रहस्य को नहीं सुलझा पाए कि आखिर झील के आसपास इतने पक्षियों की मौत कैसे हुई।...तो है ना रोचक जानकारी। 

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