इस देश में ‘डबल क्रॉस’ करने वाले जासूसों की ‘हत्‍याएं’ किसी हॉलीवुड षड्यंत्र से कम नहीं!

Webdunia
शनिवार, 19 सितम्बर 2020 (13:45 IST)
किसी भी देश में जासूसों की अहम भू‍मि‍का होती है। जब युद्ध होते हैं तो जासूसों की एकत्र की गई जानकार‍ियां और सूचनाएं ही सबसे ज्‍यादा काम आती हैं। ऐसे में कई देश सीक्रेट जानने के लिए अपने जासूस नियुक्‍त कर दूसरे देशों में भेजते हैं।

ज्‍यादातर जासूस देशभक्‍त होते हैं, लेकिन कुछ प्रलोभन में आकर ‘डबल क्रॉस’ भी करने लगते हैं। ‘डबल क्रॉस’ का मतलब हुआ कि वो जाते तो दूसरे देशों की जासूसी करने के लिए लेकिन कई बार अपने देश की जानकारी भी लीक कर देते हैं। हालांकि ऐसा जरुरी नहीं कि प्रलोभन में आकर ही किया गया हो, हो सकता है उन्‍हें ब्‍लैक मेल किया गया हो।

ऐसे में कई देश अपने जासूसों को भयानक सजाएं देते हैं। रूस एक ऐसा ही देश है जो डबल क्रॉस करने वाले जासूसों को देखि‍ए कैसे मारता है।

रूस की पुतिन सरकार रूस छोड़ने वाले अपने पूर्व जासूसों या जिन पर डबल क्रॉस करने का शक होता है, उन्हें भयानक मौत देता है। यह हैं कुछ उदाहरण।

रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी 2010 से इंग्लैंड में रह रहे थे। ये दोनों सेल्सबरी में बेहोश मिले। आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें जहर दिया गया है।

जहर…!
उल्लेखनीय है कि सर्गेई स्क्रिपल ऐसे पहले शख्स नहीं हैं जिन्हें जहर दिया गया हो। इसके पहले भी कई विरोधी जासूसों को अजीबो-गरीब जहर देकर हत्याएं की गई हैं। बेहतर होगा कि आप जान लें कि रूस अपने इन विरोधी जासूसों की किस तरह से हत्याएं करवाता है। जहर देकर हत्या करना एक प्रमुख तरीका है लेकिन यह जहर भी किस प्रकार दिया जाता है, इस बात की आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

छाते की नोंक में जहर
बुल्गारिया विरोधी जासूस जियोग्री मर्कोव को 1978 में छाते की नोंक पर जहर लगाकर मारा गया था। उन पर हमला तब हुआ था जब वे लंदन के वॉटरलू ब्रिज के नीचे बस का इंतजार कर रहे थे। बताया जाता है कि किसी ने उनके पैर पर छाते की नोंक से वार किया था।

ग्रीन-टी बैग की लेस में जहर
सोवियत यूनियन की खुफिया एजेंसी केजीबी के पूर्व एजेंट एलेक्सजेंडर लिट्वेंको की मौत लंदन के मिलेनियम होटल में 2006 में हुई थी। जांच से बाद में यह पता लगा था कि उन्हें पोलोनियम नाम का जहर दिया गया था। यह जहर उन्हें ग्रीन टी बैग की लेस पर लगाकर दिया गया था। लितिवेंको ने 6 साल पहले रूस छोड़ दिया था और वे क्रेमलिन के कट्टर विरोधी थे। इसलिए उनकी इस तरह से हत्या की गई थी।

जॉग‍िंग से पहले सूप में जहर
रूस विरोधी जासूसों की हत्या करने के तरीके किसी हॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं हैं। एलेक्सजेंडर पेरेपिलिचनी नाम के रूसी जासूस की भी हत्या जेल्सेमियम नाम के जहरीले पेड़ से की गई थी। बताया जाता है कि उनकी मौत जॉगिंग करते वक्त हुई थी। जॉगिंग के पहले उन्होंने सूप पिया था जिसमें इस पेड़ के जहरीले पत्तों को डाल दिया गया था।

डीऑक्सीन से दी मौत
यूक्रेन में विपक्ष के नेता रहे विक्टर यशचेनको (जोकि अब राष्ट्रपति हैं) को भी जासूसों ने जहर दिया था। उस वक्त वे राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। उनके खाने में 1000 गुना डीऑक्सीन पाया गया था। डीऑक्सीन एक तरह का ऐसा फैटी टिश्यू होता है जिसकी ज्यादा मात्रा में सेवन शरीर के लिए बेहद खतरनाक हो जाती है।

हैवी मेटल पॉइजन्‍ड
रूस के विपक्षी कार्यकर्ता और राष्ट्रपति पुतिन के विरोधी व्लादिमीर कारा मुर्जा ने आरोप लगाए थे कि उन्हें 2015 और 2017 के दौरान हैवी मेटल जहर दिया गया। जर्मनी की एक लैब में उनके शरीर में पारा, तांबा, जिंक की मात्रा पाई गई थी। विदित हो कि रूस में रविवार को राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना है और इसमें राष्ट्रपति पुतिन की चौथी बार जीत लगभग तय मानी जा रही है।

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