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आरटीआई के सवाल पर एसबीआई की 'कभी हां, कभी ना'

हमें फॉलो करें आरटीआई के सवाल पर एसबीआई की 'कभी हां, कभी ना'
, बुधवार, 6 दिसंबर 2017 (17:37 IST)
इंदौर। मध्य प्रदेश के एक सामाजिक कार्यकर्ता का दावा है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने व्यक्तिगत खातों में महीने में मासिक आधार पर तय न्यूनतम जमा राशि नहीं बनाए रखने वाले ग्राहकों से वसूले गए प्रभारों की जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत देने से उसे यह कहते हुए देने से इंकार कर दिया कि यह वाणिज्यिक गोपनीयता का मामला है जबकि बैंक उसी व्यक्ति को पहले इस प्रकार की सूचना उपलब्ध करा चुका है।
 
 
नीमच निवासी चन्द्रशेखर गौड़ ने बैंक से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) के दौरान अपने खातों में तय मासिक औसत जमा राशि नहीं बनाए रखने वाले ग्राहकों से वसूले गए प्रभारों की जानकारी आरटीआई के तहत मांगी थी।
 
उनका कहना है कि एसबीआई ने आरटीआई कानून में वाणिज्यिक गोपनीयता से जुड़े प्रावधानों का हवाला देते हुए ‘उसी व्यक्ति को’ यह जानकारी देने से मना कर दिया, जो इसी वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान समान मद में वसूले गए प्रभारों का ब्योरा बैंक से चार माह पहले आरटीआई के ही तहत हासिल कर चुका है।
 
 
गौड़ ने आज बताया कि उन्होंने आरटीआई अर्जी दायर कर एसबीआई से जानकारी मांगी थी कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान खातों में तय मासिक औसत जमा राशि नहीं बनाए रखे जाने पर उसने संबंधित खाताधारकों से कुल कितना प्रभार या जुर्माना वसूला है।
 
अर्जी के जवाब में एसबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) पीके मोहंती ने गौड़ को 22 नवम्बर को भेजे पत्र में कहा कि आवेदनकर्ता द्वारा चाही गई जानकारी के अनुरोध को अस्वीकार किया जाता है, क्योंकि यह ब्योरा वाणिज्यिक गोपनीयता की प्रकृति का है और बैंक को आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) (डी) के तहत इसे प्रकट किए जाने से कानूनी छूट प्राप्त है।
 
 
गौड़ ने आरोप लगाया कि एसबीआई ने खासकर गरीब तबके के लाखों खाताधारकों के ​हितों से जुड़े मामले में आरटीआई के तहत जानकारी न देकर अपने ही रुख से पलटी मारी है। उन्होंने बताया कि उनकी पुरानी आरटीआई अर्जी पर एसबीआई के एक अन्य अधिकारी ने उन्हें पांच अगस्त को भेजे उत्तर में जाहिर किया था कि बैंक ने अपने 388.74 लाख खातों में तय मासिक औसत जमा राशि नहीं बनाए रखे जाने के कारण पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में अपने ग्राहकों से 235.06 करोड़ रुपए का प्रभार वसूला।
 
 
गौड़ ने कहा कि इस मद में दूसरी तिमाही के दौरान वसूले गए प्रभारों को लेकर आरटीआई के तहत जानकारी देने से इंकार के सीपीआईओ के फैसले के खिलाफ वह एसबीआई के संबंधित उच्च प्राधिकारी के सामने अपील दायर करेंगे। (भाषा)

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