इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाने का वादा पूरा नहीं किए जाने से नाराज राज्य अधिवक्ता परिषद ने सोमवार को घोषणा की कि 9 से 15 अप्रैल तक करीब 1,00,000 वकील सभी अदालतों में न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे।
राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य सुनील गुप्ता ने यहां कहा कि सूबे में वकीलों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर अधिवक्ता सुरक्षा कानून बनाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन राज्य सरकार अपने तमाम आश्वासनों के बावजूद इस संबंध में विधानसभा में विधेयक पारित नहीं करा सकी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के इस अनुचित रवैए के खिलाफ 9 से 15 अप्रैल तक 'प्रतिवाद सप्ताह' मनाया जाएगा। इस दौरान लगभग 1,00,000 वकील न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। इससे उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ समेत तीनों पीठों, सभी जिला अदालतों और अन्य निचली कचहरियों में काम-काज प्रभावित होगा।
गुप्ता ने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ और इंदौर एवं ग्वालियर स्थित 2 खंडपीठों में फिलहाल न्यायाधीशों के कुल 53 पद मंजूर हैं लेकिन कथित सरकारी उदासीनता के चलते फिलहाल इनमें केवल 33 न्यायाधीश पदस्थ हैं। इसी तरह सभी जिला न्यायालयों में भी लंबित मुकदमों के भारी बोझ के मुकाबले पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में न्यायाधीशों की गंभीर कमी से अदालतों में मुकदमे सालोसाल चलते रहते हैं जिससे वकीलों और उनके पक्षकारों को खासी परेशानी होती है। न्यायिक जगत की इस प्रमुख समस्या को हल करने के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाए जाने चाहिए।