मानवता की मिसाल थे डॉ. सैयदना साहब, जानें जीवन परिचय

Webdunia
Dr. Syedna Mohammad Saheb: सैयदना ताहेर सैफुद्दीन साहब दाउदी बोहरा समाज के 52वें धर्मगुरु है। उनका पूरा नाम सैयदना डॉ. अबुल काईद जौहर मोहम्मद बुरहानुद्दीन है। दुनिया भर में फैले दाऊदी बोहरा समाज के प्रमुख धर्मगुरु डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का जन्म सूरत में हुआ था। डॉ. सैयदना के जन्म पर उनके वालिद साहब हिज होलीनेस डॉ. सैयदना ताहेर सैफुद्दीन ने फरमाया था कि उनका बेटा फातेमी दावत यानी इमाम का वह मिशन जो अल-दई-अल मुतलक द्वारा चलाया जाता है के सम्मान तथा प्रतिष्ठा का अग्रदूत होगा। 
 
दाउदी बोहरा समुदाय इस्लाम धर्म के शिया इस्माइली शाखा का ही एक धार्मिक संप्रदाय है और इसी समुदाय के धर्मगुरुओं के 51वें धर्मगुरु सैयदना ताहेर सैफुद्दीन साहब के घर सन् 1915 में एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया था, जिन्हें सभी भारतवासी डॉ. सैयदना साहब के नाम से जानते है। 
 
डॉ. सैयदना अधिकांश समय पिता के साथ रहे और उनसे ज्ञानार्जन करते रहे। मात्र 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने अपने वालिद की देखरेख में ली गई तालीम के परिणाम स्वरूप पूरी की पूरी कुरान-ए-मजीद को याद कर लिया था। मात्र 19 वर्ष की आयु में 51वें दई-अल-मुतलक सैयदना ताहेर सैफुद्दीन ने सैयदना को अल-दई-अल-मुतलक का वारिस मुकर्रर कर दिया था। 
 
सैयदना साहब ने हजारों बोहराओं की नगरी तथा चार सदियों से दावत की गद्दी यमन की यात्रा की, जिसके परिणामस्वरूप यमन सरकार और वहां के लोगों ने बोहराओं को मान्यता प्रदान कर दी। इस महान उपलब्धि पर सैयदना ताहेर सैफुद्दीन ने अपने बेटे को 'मंसूर-उल-यमन' नामक ऐतिहासिक खिताब से नवाजा। यह खिताब इससे पहले एक मर्तबा बारह सदी पहले दिया गया था।
 
सैयदना ताहेर सैफुद्दीन के इंतकाल होने पर सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन अल-दाइल-अल मुतलक की गद्दी पर 52वें गद्दीनशीन जलवा अफरोज हुए। अपने पूर्वजों और वालिद की परंपरा को अपनाते हुए उन्होंने पहला रिसाला रमदानिया इस्तिफताहो जोबादिल मारिफ, जो कि अरब साहित्य की रचना है, लिखा। 
 
1941 में सैयदना साहब को अल-अलीम-उर-रासिक का खिताब अता किया गया। साथ ही एक वर्ष बाद ही सैयदना ताहेर सैफुद्दीन ने उन्हें उमादातुल उलमा एल मुवाहेदीन का खिताब अता किया गया। यह दुर्लभ सम्मान है, जो बोहरा समुदाय के सबसे ज्यादा विद्वान इंसान को ही दिया जाता है। दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी और सर्वाधिक प्रतिष्ठित शिक्षण केन्द्र अल-अजहर यूनिवर्सिटी ऑफ कैरो, इजिप्ट ने सैयदना साहब को उनके सम्मानजनक कार्य के लिए डॉक्टर ऑफ इस्लामिक स्टडीज की उपाधि प्रदान की थी। 
 
दाऊदी बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक नेता डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन 17 जनवरी 2014 को दक्षिण मुंबई स्थित उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से 98 वर्ष की आयु में हुआ था। ग्रेगोरी कालदर्शक के अनुसार उनकी उम्र 102 साल थी। 
 
आज भी सैयदना साहब के व्यापक तथा उदारवादी मानवीय कार्यों के प्रति समस्त बोहरा समुदाय नतमस्तक हैं और हमेशा रहेगा। डॉ. सैयदना साहब श्रेष्ठतम मानवतावादी, शिक्षाविद और भलाई के अग्रदूत थे। डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब मानवता की मिसाल थे। उन्होंने ही बोहरा समाज को एक नई दिशा दी। सैयदना साहब ने सिखाया है कि न कोई बड़ा है और न कोई छोटा बल्कि सब एक समान हैं। वे कहते थे कि सबका भला करो, गुस्सा मत करो, मीठा बोलो। उनका बताया रास्ता ही मानवता का रास्ता है। 
 

Related News

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

अगला लेख
More