Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

होली के त्योहार में रंग कैसे जुड़ा, पहले कैसे मनाई जाती थी, जानिए

हमें फॉलो करें होली के त्योहार में रंग कैसे जुड़ा, पहले कैसे मनाई जाती थी, जानिए

अनिरुद्ध जोशी

, रविवार, 6 मार्च 2022 (10:42 IST)
भद्रा होने के कारण विद्वानों द्वारा इस बार 17 मार्च 2022 को होलिका दहन और 19 मार्च को होली मनाने की सलाह दी है। होलिका दहन का त्योहार हिरण्याकश्यप की बहन होलिका और पुत्र प्रहलाद से जुड़ा है। होली के दूसरे दिन धुलेंडी और इसके बाद रंगपंचमी पर रंगों से होली खेली जाती है। होली के त्योहार से आखिर रंग किस तरह जुड़ गया और जब रंग नहीं होता था तब होली किस तरह खेली जाती थी। आओ जानते हैं इस संबंध में रोचक जानकारी।
 
 
रंगों का यह त्योहार प्रमुख रूप से 5 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है। होली के पांचवें दिन रंगपंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। पहले होली का नाम 'होलिका' या 'होलाका' था। साथ ही होली को आज भी 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।
 
 
रंगों की होली से पहले खेलते थे धुलेंडी : होली के त्योहार से रंग जुड़ने से पहले लोग एक दूसरे पर धूल और किचड़ चुपड़ते थे इसीलिए इसे धुलैंडी कहा जाता था। कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है।
 
धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं। होली के अगले दिन धुलेंडी के दिन सुबह के समय लोग एक दूसरे पर कीचड़, धूल लगाते हैं। पुराने समय में यह होता था जिसे धूल स्नान कहते हैं। पुराने समय में चिकनी मिट्टी की गारा का या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था। धुलेंडी को धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन और चैत बदी आदि नामों से जाना जाता है। 
 
आजकल होली के अगले दिन धुलेंडी को पानी में रंग मिलाकर होली खेली जाती है तो रंगपंचमी को सूखा रंग डालने की परंपरा रही है। कई जगह इसका उल्टा होता है। हालांकि होलिका दहन से रंगपंचमी तक भांग, ठंडाई आदि पीने का प्रचलन हैं।
 
इस तरह जुड़ा रंग : होली के त्योहार में रंग कब से जुड़ा इसको लेकर मतभेद है परंतु इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया था और जिसकी खुशी में गांववालों ने रंगोत्सव मनाया था। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था।
 
 
होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। भारत के कई हिस्सों में पांच दिन तक होली खेली जाती है। चैत्रमास की कृष्णपक्ष की पंचमी को खेली जाने वाली रंगपंचमी देवी देवताओं को समर्पित होती है। कहते हैं कि इस दिन श्री कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

होली कब है? जानिए शुभ संयोग और खास बातें