फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक होली दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है। कहते हैं कि इन 8 दिनों में प्रहलाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने कई तरह के त्रास दिए थे। उसके बाद 8वें दिन होलिका के साथ उसे आग में बैठा दिया था। प्रभु की कृपा से होलिका तो जल गई परंतु भक्त प्रहलाद बच गए। यही कारण है कि इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। परंतु इन दिनों में 8 कार्य करके आप फायदा उठा सकते हैं। इस बार 21-22 मार्च से 28 मार्च 2021 तक होलाष्टक रहेगा।
होलाष्टक के प्रारंभ होने वाले दिन एक स्थान पर दो डांडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें से एक डांडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डंडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद इन डांडों को गंगाजल से शुद्ध करके के बाद इन डांडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है और अंत में होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है।
1. होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
2. होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है।
3. इस दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है। दोनों की पूजा करने से जीवन में यदि कोई संकट चल रहा हो तो वह दूर हो जाता है।
4. होलाष्टक के दौरान श्रीकृष्ण की पूरे समय उपासना की जाती है। इस दौरान लड्डू गोपाल का पूजन कर संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ करवा कर अंत में शुद्ध घी व मिश्री से हवन करेंगे तो शीघ्र संतान प्राप्ति होती है।
5. आप इस दौरान व्रत, दान-पुण्य भी कर सकते हैं। होलाष्टक के दौरान किए गए व्रत और दिए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
6. रोग से बचने के लिए योग्य वैदिक ब्राह्मण द्वारा शिव पूवा और महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान प्रारम्भ करवाएं, बाद में हवन करें।
7. विजय प्राप्ति हेतु आदित्यहृदय स्त्रोत, सुंदरकांड का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करें।
8. परिवार की समृद्धि हेतु रामरक्षास्तोत्र, हनुमान चालीसा व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।