इंदौर नगर में राजकीय विद्यालयों की अपेक्षा निजी क्षेत्र में संचालित होने वाली शैक्षणिक संस्थाएं अधिक थीं। वे राजकीय अनुदान के अभाव में भी बेहतर सेवाएं दे रही थीं। ऐसी संस्थाओं में केनेडियन मिशन महाविद्यालय, तिलोकचंद जैन हाईस्कूल, केनेडियन मिशन गर्ल्स स्कूल तथा डेली कॉलेज आदि प्रमुख थे।
केनेडियन मिशन कॉलेज (वर्तमान क्रिश्चियन कॉलेज) की स्थापना 1888 ई. में हुई थी। नगर व राज्य में स्थापित यह पहला महाविद्यालय था। उन दिनों इस महाविद्यालय का संचालन यूनाइटेड चर्च ऑफ इंडिया की शाखा सेंट्रल इंडिया मिशन के द्वारा होता था। 1893 तक यहां केवल इंटरमीडिएट कक्षा ही अध्यापन होता था। उसी वर्ष से इस महाविद्यालय में स्नातक कक्षाओं का अध्यापन प्रारंभ हुआ (एक सदी पूर्ण हो चुकी है)। 1910 में जब यहां स्नातकोत्तर कक्षा प्रारंभ हुई तो सर्वप्रथम दर्शन-शास्त्र को चुना गया। इस महाविद्यालय में केवल कला संकाय के विषयों की ही पढ़ाई होती थी। महाविद्यालय में 2 छात्रावास, खेल का मैदान व लायब्रेरी भी संलग्न थे। इस महाविद्यालय से 'दी बुलेटिन ऑफ क्रिश्चियन कॉलेज' नामक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता था।
नगर में तिलोकचंद जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना 1905 में राज्य भूषण राजबहादुर सेठ कल्याणमलजी के द्वारा की गई थी। इस विद्यालय में विज्ञान विषय पढ़ाने व उसकी उत्तम प्रयोगशाला की व्यवस्था थी, साथ ही एक समृद्ध पुस्तकालय था, जिसमें सभी विषयों की लगभग 4,000 पुस्तकें थीं। इंदौर में डेली कॉलेज की स्थापना का प्रयास भारत के गवर्नर जनरल के सेंट्रल इंडिया स्थित एजेंट सर हेनरी डेली ने किया था, जो 1869 से 1881 तक इस पद पर इंदौर में थे। उनके अथक प्रयासों के बावजूद उनके कार्यकाल में यह संस्था प्रारंभ नहीं हो सकी। 1885 में डेली कॉलेज की स्थापना का विचार मूर्तरूप ले पाया। उस वर्ष लॉर्ड डफरिन इंदौर आए और उन्होंने डेली कॉलेज का उद्घाटन किया। मूलत: इस संस्था की स्थापना सेंट्रल इंडिया के राजघरानों के बच्चों तथा जमींदारों के पुत्रों की शिक्षा हेतु की गई थी। इंदौर राज्य द्वारा इस कॉलेज की स्थापना हेतु एक बड़ा भू-भाग दिया गया, जिस पर वर्तमान भवन बनाया गया है। इस भवन में 1912 में नियमित कक्षाएं लगनी प्रारंभ हुईं। इनके अतिरिक्त सर हुकुमचंद दिगंबर जैन पाठशाला तथा मंजुला आश्रम ने भी शिक्षा प्रसार में बड़ा योगदान दिया।