Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(उत्पन्ना एकादशी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-उत्पन्ना एकादशी व्रत
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

लघु कहानी : नवरात्रि और अंधविश्वास

हमें फॉलो करें लघु कहानी : नवरात्रि और अंधविश्वास
webdunia

देवेन्द्र सोनी

'नवरात्रि पर्व' के चलते ग्रामीण अंचल के कुछ व्यक्तियों से रमेश की मुलाकात हुई।
 
वे 'कहीं' सलाह लेने आए थे। मुखिया थे किसी गांव के और ग्रामीणों के दवाब में माता रानी के चरणों में 'पशुबलि' देने की जिरह कर रहे थे। जब यह मसला सामने आया तो पता चला कि गांव के ही किसी 'पड़िहार' ने उस अनपढ़ ग्रामीण को विपत्ति से निजात दिलाने के लिए यह मार्ग सुझाया था।
 
मुखिया के साथ वह पीड़ित व्यक्ति भी था जो बार-बार समझाने पर भी मानने को तैयार नहीं था और माता रानी के चरणों में यह भेंट देना चाहता था।
 
समझाने वाले सभी सम्माननीय और प्रबुद्ध थे, फिर भी स्थिति विकट थी। निरंतर असहमति के चलते पीड़ा से ग्रस्त वह व्यक्ति रुआंसा हो गया था। थोड़ी देर के सन्नाटे के बाद जब वह संयत हुआ तो उसे फिर बताया गया कि आज के इस वैज्ञानिक युग में यह सिर्फ अंधविश्वास है और पड़िहारों के लिए पैसा कमाने का जरिया।
 
उसे समझाया गया कि यदि पड़िहारों के ही कुछ कर देने से या उनकी बात मान लेने से दुःख-दर्द मिट जाते, संपन्नता आ जाती तो वे खुद फटे-हाल क्यों होते?
 
पड़िहारों की बात मानने वाले किन व्यक्तियों के दुःख-दर्द मिटे हैं? संपन्नता आई है? ऐसे लोग सिर्फ वहम में जीते हैं।
 
उस पीड़ित ग्रामीण को बताया गया कि- माता रानी को मन से स्मरण करने से, उनकी पूजा-अर्चना करने से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा उन्हें और भी समझाइश दी गई तब कहीं वे इस जघन्य कृत्य को नहीं करने की अवस्था में आए। 
 
इस सुखद निराकरण के बाद वे तो चले गए पर सबके मन में एक प्रश्न छोड़ गए। प्रश्न यह कि- आज हम किस रावण को जला रहे हैं? हमारे समाज में कुरीतियों का रावण तो अंधविश्वास के रूप में आज भी मौजूद है, कई-कई रूपों में। हम सबको मिलकर इनसे लड़ना होगा। यह अंधकार मिटाना होगा। तभी यह पर्व सार्थक होगा, यही सच्ची भक्ति और श्रद्धा होगी माता रानी की।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जीना मुश्किल करता जीका