कित्ती नौनी बनी आज जा,
मटर-भटा की तरकारी।
लगो बघार तेल सरसों का,
राई नॉन जीरे डारे।
लहसुन-प्याज डार के भूंजो,
तिल डारे कारे-कारे।
झौंके गरम करैया में फिर,
भटा-मटर बारी-बारी।
संसी सें फिर पकर करैया,
भटा-मसालो टारो खूब।
दो लोटा भर पानी डारो,
ढंकना ढांक उबालो खूब।
तरकारी की उड़ी महक तो,
नचन लगे लोटा-थाली।
चटकारे ले-ले के रोटी,
तरकारी सब घर खा रओ।
डुकरा ससुर आज तो खुस है,
भौत बहू के गन गा रओ।
सास सोई के रई है उनखो,