नारी की खूबसूरती पर कविता : ये इत्र-सी स्त्रियां...

डॉ. निशा माथुर
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
महकाती फुलवारियां,
रूह-रूह कोने-कोने, 
चहकती ज़िंदगियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
सुगंध की शीशियां,
भीनी-भीनी महकतीं,
गिरातीं बिजलियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
गुलाब की टोकरियां,
खिली-खिली-सी ताजगी, 
अप्सरा-सी या परियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
यौवन की अठखेलियां,
मद-मादक मदमस्त,
सुरभित सेवंतियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
छलकातीं गगरियां,
बहता हुआ पानी, 
बहकती जवानियां!! 
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
फ़र्ज़ में सिमटीं नारियां,
बलखाती नदिया-सी,
सागर लेतीं समाधियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
कच्ची मिट्टी की हांडिया,
चाक-चाक ढल जातीं,
एक अधूरी कहानियां!!
 
ये इत्र-सी स्त्रियां!!
रंग-बिरंगी तितलियां,
अपना कोई घर नहीं,
खाली जिनकी हथेलिया!!

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