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हिंदी कविता : दरवाजे पर आ जा चिरैया

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राकेशधर द्विवेदी

Poem on Sparrow
 
दरवाजे पे आ जा चिरैया
तोहे मुनिया पुकारे
मुनिया पुकारे तोहे, मुनिया पुकारे
आके बैठ जा रे ऊंची अटरिया
तोहे मुनिया पुकारे।
 
अंगना में आके गौरैया नाचे
फर्र से उड़कर घर भर को नापे
पीछे-पीछे भागत है कृष्ण कन्हैया
तोहे मुनिया पुकारे
दरवाजे पे आ जा चिरैया तो हे मुनिया पुकारे।
 
जब से बिछुड़ी गौरैया रानी
सूने भए गांव, चौपाल राजधानी
चहक-चहक अब कौन रिझाएं
सुबह, पछिलहरा में गांव को कौन जगाएं
पूछ रही अंगने की तुलसी मैया
तोहे मुनिया पुकारे
दरवाजे पर आ जा चिरैया तोहे मुनिया पुकारे।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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