मार्मिक कविता : नन्ही अभिलाषा

जाह्नवी सिंह
कुछ पल तो नादानी करने दे मां
इस दुनिया में मुझे ढलने दे मां
मैं कली तेरी निर्मल बगिया की‍
मुझे निर्मलता में जीने दे मां
धूप में तो जलना ही है
अभी छांव से गले मिलने दे मां
कभी डोर होगी मेरी औरों के हाथ
आज तो उन्मुक्त अपने गगन में
पंख पसारे पंछ‍ी सा उड़ने दे मां
अभी नहीं सरोकार मेरा
तेरी दुनिया के रंग से
अभी मुझे तेरे रंग में रंगने दे मां
समुद्र में तो मिलना ही है
खारेपन को निगलना ही है 
अभी नदियां सा इठलाने दे
व निर्झर सा झर जाने दे मां
खो जाऊंगी मैं भी किसी दिन
तेरे संसार के भूल-भूलैया में
बस इस क्षण स्वच्छ आबो-हवा को 
आत्मसात तो करने दे मां
उलझ न जाऊं ज्ञान के भंवर में 
उम्र की मादक बेहोशी में 
है यही नन्ही सी अभिलाषा
पल भर बेफिक्री में जीने दे मां।

ALSO READ: नई कविता : जीवन स्वप्न है...

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पार्टनर के लिए 20 बेहतरीन रोमांटिक गुड मॉर्निंग लव शायरी और कोट्स

भारत में कैसे आता है मॉनसून? समझिए बारिश का पूरा विज्ञान

बरखा की बूंदों में भीगी ये शायरी पढ़ कर दिल हो जाएगा तरोताजा

हेयर ट्रांसप्लांट ने लील ली 2 जिंदगियां, जानिए कितनी सेफ है ये सर्जरी, संभावित खतरे और किन लोगों को नहीं करवाना चाहिए ट्रांसप्लांट

प्री-मॉनसून और मॉनसून में क्या होता है अंतर, आसान भाषा में समझिए

सभी देखें

नवीनतम

अपनी बेटी को दें वेदों से प्रेरित सुंदर नाम, जानें उनके गहरे अर्थ

घर के चिराग को दें वेदों से प्रभावित नाम, दीजिए बेटे के जीवन को एक सार्थक शुरुआत

प्रधानमंत्री का संदेश आतंकवाद के विरुद्ध मानक

मोहब्बत, जिंदगी और सियासत पर राहत इंदौरी के 20 दमदार और मोटिवेशनल शेर

कितनी है कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी, जानिए भारतीय सेना में इस पोस्ट का वेतनमान

अगला लेख