Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : और रखा ही क्या है जीवन में...

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : और रखा ही क्या है जीवन में...
शुभम गोविंद पाराशर

और रखा ही क्या है? इस जीवन में, 
हंसना, बोलना, खेलना, खाना जीवन में,
खुलकर जी लो इस जीवन को,
जीवन के हर एक पल को,
 
घूमना, फिरना, चलना, टहलना
घूम घूमकर सबसे मिलना,
जनजीवन के स्तर को बदलना,
और रखा ही क्या है इस जीवन में, 
 
जी लो फिर इस जीवन को,
खुलकर जीवन सबरंग में 
रिश्ते बनाना, रिश्तों को निभाना, 
यही सीख लें हम इस जीवन में,
 
उलझना, सुलझना, और सुलझाते रहना,
मन को शांत रख आगे बढ़ना,
होठों पर मुस्कान रखना जीवन में 
और रखा ही क्या है इस जीवन में, 
 
गम के दौर और खुशियों का ठिकाना,
गम के दौर में भी मुस्कराना,
मौका न मिलेगा फिर जीवन में,
और रखा ही क्या है जीवन में,
 
पराक्रम, परिश्रम, और साहस
नई उमंग लें जीवन में
बढ़ते जाएं लघु कदम,
और रखा ही क्या है इस जीवन में 
 
आना-जाना, मिलना मिलाना,
हर जिंदगी का अंत यही है, 
राख होना या मिट्टी बनना, 
अंत सभी का एक ही ठिकाना,
और रखा ही क्या है इस जीवन में, 
 
सद्कर्मों को करते रहकर,
रोशन कर हर जन जीवन में,
है प्रार्थना अंतर्मन से,
सब से सुंदर, सबसे प्यारा,
वह ईश्वर अंश अविनाशी है,
दें उजियारा हर जीवन में,
और रखा ही क्या है जीवन में
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या आपके अपनों को भी लगती है नजर, तो ऐसे करें सरल उपाय