Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता?

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता?
webdunia

श्रीमती गिरिजा अरोड़ा

क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता? 
सच पूछो तब हंसने का भी मौसम न होता।
 
कांटों की जो सेज न होती, फूल कहां पर सोते? 
जो ये काली रात न होती, ओंस कहां पिरोते?
सुबह सूर्य के दर्शन कर फिर क्यों इतना इतराते?
इतना खिला-खिला तब कोई उपवन न होता।
 
सच पूछो तब हंसने का भी मौसम न होता,
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता? 
 
प्यास से न कंठ तरसते पानी अमृत क्यों बनता?
चिलचिलाती धूप न होती, बादल क्यों बरसता?
गरज-बरसकर जो धरती से अंबर न मिलता, 
हरा-भरा धरती पर इतना जीवन न होता।
 
सच पूछो तब हंसने का भी मौसम न होता।
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता? 
 
विरह का जो दर्द न होता मिलना किसको कहते?
रातों की जो नींद न उड़ती थककर कैसे सोते?
सुनहरे सपनों को तब किसके नयन पिरोते?
नित नूतन तब मानव का मन न होता।
 
सच पूछो तब हंसने का भी मौसम न होता।
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता? 
 
देखी जो हार न होती जीत खुशी न देती,
सुख के आंसू कैसे सहती, जो आंख कभी न रोती।
खुद न जलती लौ तो फिर तम कैसे हर लेती?
रात न होती, दिन भी इतना उज्ज्वल न होता।
 
सच पूछो तब हंसने का भी मौसम न होता।
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता? 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुरु-पुष्य नक्षत्र : सभी कार्य में सफलता दिलाएंगे यह 5 मंत्र...