इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में दूसरे दिन सत्र 'एक बूंद सहसा उछली' यात्रा वृतांत के नाम था...इसे अपूर्व पौराणिक ने मॉडरेट किया लेकिन इसके मुख्य आकर्षण थे मशहूर यात्रा लेखक अजय सोडानी औऱ संदीप भूतोड़िया ...अजय ने बताया कि ट्रैवल राइटिंग यानी यात्रा वृतांत हिन्दी पाठकों के बजाय इंग्लिश पाठकों में इसका चलन ज्यादा है। विदेशी पर्यटक इसका बड़ा उदाहरण है जिनके हाथों में हमेशा गाइड या बुक देखने को मिल जाती है। वे पढ़कर, सुनकर और जानकर, ढूंढते हुए यात्रा पर निकलते हैं लेकिन ये हमारे यहां देखने को नहीं मिलता।
यह इशारा है कि हिन्दी में वाइल्ड लाइफ ट्रैवलर की ज़रूरत है। इस क्षेत्र में ट्रांसलेशन भी ज़रूर होना चाहिए। सत्र में शामिल अतिथि ने अजय की किताब 'यायावरी दुर्योधन के देश में' पर हिमालय की यात्रा को लेकर बात की।
अजय कहते हैं कि हिमालय पर कई लोगों से सुना कि हम इतना सा चलने पर हांफ जाते हैं लेकिन ऐसे भी पुजारी हुए जो चोटी के चारों मंदिरों में पूजा कर के लौट भी आया करते थे। इस बात से उन्हें प्रेरणा मिली हिमालय की यात्रा के लिए। उन्होंने कहा कि जितना आगे तक जा पाया हूं, गया हूं, लेकिन उससे आगे हिमालय मुझे जाने नहीं देता। वही बुलाता भी है मुझे। अब तक जो लिखा है वह हिमालय ने ही लिखवाया है और जो बोला वह हिमालय ने ही बुलवाया है।
अजय ने मेघदूतम का उदाहरण देते हुए कहा कि यात्रा शुरुआत से हमारा हिस्सा रही है, जो रामायण में भी है और महाभारत में भी लेकिन बाद में हुए बदलावों ने हमारा विदेशी रुझान बढ़ा दिया है। यात्रा वृत्तांत को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि यात्रा वृत्तांत यात्री की दृष्टि है, जिससे उसने यात्रा के दृश्यों, घटनाओं और चीजों को ग्रहण किया है। उनके अनुसार उनके यात्रा वृत्तांत का मकसद ये नहीं कि लोग उस दुर्गम ऊंचाई तक पहुंचे ही, बल्कि उद्देश्य यह है कि लोग उसे जानें और स्वीकार करें। उनका कहना है कि यात्रा मुझे विस्तार देती है और हर बार मुझे मेरी नज़र से गिरा देती हैं। वे मूर्ति के बजाए हर ज़र्रे में ईश्वर की बात पर आस्था रखते हैं।